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________________ १, २, १४.] दव्वपमाणाणुगमे सजोगिकेवलिपमाणपरूवणं [ ९० मेत्तसिद्धसमयाणं केत्तिया सजोगिजिणा लब्भंति त्ति तेरासिए कए सो चेव रासी लम्भदि । एवमण्णत्थ वि जाणिऊण वत्तव्यं । जहाक्खादसंजदाणं पमाणवण्णणा गाहा अढेव सयसहस्सा णवणउदिसहस्स चेव णवयसया । सत्ताणउदी य तहा जहक्खादा होंति ओघेण ॥ ४९ ॥ एवं परूविदसव्वं संजदरासिमेगडे कदे अट्ठकोडीओ णवणउदिलक्खा णवणउदिसहस्सा णवसद सत्ताणउदिमेत्तो होदि ८९९९९९९७ । एदम्हादो रासीदो उवसामग-खवगपमाणमवणेयव्वं । तेसिं पमाणपरूवणगाहा णव चेव सयसहस्सा छव्वीससया य होंति अडसीया । परिमाणं णायव्वं उवसम-खवगाणमेदं तु ॥ ५० ॥ एदमवणिय तीहि भागो हायव्यो। लद्धमप्पमत्तरासी हवदि । दुगुणिदे पमत्तरासी प्रकार त्रैराशिक करने पर वही पूर्वोक्त ८९८५०२ सयोगी जीवराशि ही आ जाती है। इसीप्रकार अन्यत्र भी जानकर कथन करना चाहिये । प्रमाणराशि फलराशि इच्छाराशि लन्ध प्रमाण ८समय २२ केवली समय ३२६७२८ ८९८५०२ ८समय ४४ केवली १६३३६४ ८९८५०२ ८समय ८८ केबली ८१६८२ ८९८५०२ अब यथाख्यात संयतोंकी संख्याका वर्णन करनेवाली गाथा देते हैं सामान्यसे यथाख्यातसंयमी जीव आठ लाख निन्यानवे हजार नौसौ सत्तानवे होते हैं ॥४९॥ इसप्रकार प्ररूपण की गई संपूर्ण संयत जीवोंकी राशिको एकत्रित करने पर कुल संख्या आठ करोड़ निन्यानवे लाख निन्यानवे हजार नौसौ सत्तानवे ८९९९९९९७ होती है। इस राशिमेंसे उपशमक और क्षपक जीवोंके प्रमाणको निकाल देना चाहिये । उपशमक और सपक जीवोंके प्रमाणकी प्ररूपणा करनेवाली गाथा इसप्रकार है उपशमक और क्षपक जीवोंका परिमाण नौ लाख दो हजार छह सौ अठासी जानना चाहिये ॥५०॥ संयतोंकी संपूर्ण राशिमेंसे इस उपशमक और क्षपक जीवराशिको निकालकर तीनका भाग देना चाहिये। जो तीसरा भाग लब्ध आया उतना अप्रमत्तसंयत जीवराशिका प्रमाण १ गो. जी. जी. प्र., टी. ६२९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001397
Book TitleShatkhandagama Pustak 03
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1941
Total Pages626
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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