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७८] छक्खंडागमे जीवहाणं
[ १, २, ६. इहिरासी आगच्छदि । तस्स भागहारस्त अद्धच्छेदणयमेत्ते रासिस्स अद्धच्छेदणए कदे वि सासणसम्माइद्विरासी आगच्छदि । एवं तिय-चउक्क पंचादिछेदणाणि वि अवलंबिय सासणसम्माइहिरासी उप्पाएदव्यो । अधवा असंखेज्जावलियाहि पलिदोवमं गुणेऊण पदरपल्ले भागे हिदे सासणसम्माइहिरासी आगच्छदि । केण कारणेण ? पलिदोवमेण पदरपल्ले भागे हिदे पलिदोवममागच्छदि । पुणो वि असंखेज्जावलियाहि पलिदोवमे भागे हिदे सासणसम्माइटिरासी आगच्छदि। एवमागच्छदि त्ति कट्ट गुणेऊण भागग्गहणं कदं । तस्स भागहारस्त अद्धच्छेदणयमेत्ते रासिस्स अद्धच्छेदणए कदे सासणसम्माइट्टि.
उक्त भागहारके जितने अर्धच्छेद हों उतनीवार पल्योपम राशिके अर्धच्छेद करने पर भी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशिका प्रमाण आता है।
उदाहरण-३२ भागहारके ५ अर्धच्छेद होते हैं, अतः इतनीवार ६५५३६ के अर्धच्छेद करने पर २०४८ प्रमाण सासादनसम्यग्दृष्टि राशि आती है।
__ इसीप्रकार त्रिकछेद, चतुष्कछेद और पंचछेद आदिका अवलंबन करके भी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि उत्पन्न कर लेना चाहिये।
उदाहरण-३२ के त्रिकोट २ ३२
३२. उदाहरण-३२ क पत्रकछद र
३२
३ ९ २७ ६५५३६ के त्रिकोट ६५५३६ ६५५३६ ६५५३६ ६१५३६ कात्रकछद ३
९
२७ ६५५३६ . ३२ = २०४८ सा. इसीप्रकार चतुष्कछेद आदि के भी उदाहरण बना लेना चाहिये ।।
अथवा, असंख्यात आवलियोंसे पल्योपमको गुणित करके जो लब्ध आवे उसका प्रतरपल्यमें भाग देने पर सासादनसम्यग्दष्टि जीवराशिका प्रमाण आता है। इसका कारण यह है कि पल्योपमका प्रतरपल्यमें भाग देने पर पल्योपम आता है, और फिर असंख्यात आवलियोंका पल्योपममें भाग देने पर सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशिका प्रमाण आ जाता है । द्विरूपवर्गधारामें इसप्रकार सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशिका प्रमाण आता है, अतएव पहले गुणा करके अनन्तर भागका ग्रहण किया।
६५५३६२ . उदाहरण-६५० २०४८ सासादनसम्यग्दृष्टि.
उक्त भागहारके जितने अर्धच्छेद हों उतनीवार उक्त भन्यमान राशिके अर्धच्छेद करने पर भी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशिका प्रमाण आता है।
उदाहरण-३२४ ६५५३६ रूप भागहारके २१ अर्धच्छेद होते हैं, इसलिये इतनीवार ६५५३६४ ६५५३६ के अर्धच्छेद करने पर भी २०४८ प्रमाण सासादनसम्यग्दृष्टि राशि आती है।
१ प्रतिषु 'मेत्ते सरिसव्व छेदणए' इति पाठः।
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