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छक्खंडागमे जीवाणं
[ १, २, १.
ए किस्से बहुत विरोधादो । एगत्तं पडि समानत्तणेण एगत्तमावण्णाए दव्व-खेत-कालभावभेदेण णाणत्तमुवगदाए एकसंखाए ण बहुत्तं विरुज्झदे चेज्जदि एवं तो एगसंखादो कथंचि भेदा दुवादिसंखाए भेदो किमिदि ण इच्छिजदे | कहं भेदो चे, दव्त्रादिभेदं पडुच्च तदो चेव दुब्भावो समाणत्तदंसणादो । दोहमेगत्तं दव्वट्ठियणयविवखादो । जवणये विवक्खिदे एकसंखादो से सेकसंखा वदिरित्तेत्ति णाणत्तं । णेगमणए विव-क्खिदे दुवादिभाव । एत्थ पुण णेगमणयविवक्खादो संखामेदो गहेदव्वो । यथावस्त्ववबोधः अनुगमः, केवलि श्रुतकेवलिभिरनुगतानुरूपेणावगमो वा । द्रव्यप्रमाणस्य द्रव्य - प्रमाणयोर्वा अनुगमः द्रव्यप्रमाणानुगमः, तेन द्रव्यप्रमाणानुगमेनेति निमित्ते तृतीया । दुविहो णिसो, सोदाराणं जहा णिच्छयो होदि तहा देसो णिदेसो । कुतीर्थपाखण्डिनः
पाई जाती है ?
समाधान - ऐसा नहीं है, क्योंकि, एक संख्याको बहुतरूप माननेमें विरोध
आता है ।
शंका- - एक यह संख्या एकत्वके प्रति समान होनेसे एकरूप है, और द्रव्य, क्षेत्र, काल तथा भावके भेदसे नानारूप है, इसलिये एक संख्या में बहुत्व विरोधको प्राप्त नहीं होता है ?
प्रतिशंका - यदि ऐसा है तो एक संख्या से कथंचित् भिन्न होने के कारण दो आदि संख्याओंका उससे भेद क्यों नहीं मान लेते हो ?
शंका - एक संख्या से दो आदि संख्याओंका भेद कैसे है ?
समाधान -- द्रव्य, क्षेत्र आदि भेदों की अपेक्षासे दो इसीलिये संख्याओं में दो आदि रूपता बन जाती है, क्योंकि, संख्यारूप भेदोंकी समानता देखी जाती है ।
द्रव्यार्थिकनकी विवक्षासे एक और नाना इन दोनोंमें एकत्व है । पर्यायार्थिकनयकी विवक्षा होने पर विवक्षित एक संख्या से शेष एक संख्याएं भिन्न हैं, इसलिये उनमें नानात्व है । तथा नैगमनयकी विवक्षा होने पर द्वित्व आदि भाव बन जाता है । इसप्रकार ( संख्या के कथंचित् एकरूप और कथंचित् नानारूप सिद्ध हो जाने पर उनमें से ) यहां प्रकृतमें तो नैगमनयकी विवक्षासे संख्याभेद ही ग्रहण करना चाहिये ।
वस्तु के अनुरूप ज्ञानको अनुगम कहते है । अथवा, केवली और श्रुतकेवलियोंके द्वारा परंपरा से आये हुए अनुरूप ज्ञानको अनुगम कहते हैं । द्रव्यगत प्रमाणके अथवा द्रव्य और प्रमाणके अनुगमको द्रव्यप्रमाणानुगम कहते हैं । उससे अर्थात् द्रव्यप्रमाणानुममकी अपेक्षा, इसप्रकार द्रव्यप्रमाणानुगम पदके साथ सूत्रमें जो तृतीया विभक्ति जोड़ी है वह निमित्तरूप अर्थ में जानना चाहिये ।
निर्देश दो प्रकारका है । जिस प्रकारके कथन करनेसे श्रोताओं को पदार्थके विषय में
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आदि संख्याओं का भेद है और द्रव्य आदि भेदों के साथ दो आदि
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