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________________ ८२.] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं [१, १. णत्थि । उत्तं च मणपजवपरिहारा उवसमसम्मत्त दोण्णि आहारा । एदेसु एक्कपयदे णत्थि त्ति य सेसयं जाणे ॥ २२९ ॥ तिणि दंसण, दव्वेण छ लेस्सा, भावेण तिण्णि सुहलेस्साओ; भवसिद्धिया, उवसमसम्मतं, सणिणो, आहारिणो, सागारुवजुत्ता होंति अणागारुवजुत्ता वा। कहा भी है ___ मनःपर्ययज्ञान, परिहारविशुद्धिसंयम, प्रथमोपशमसम्यक्त्व, आहारककाययोग और आहारकमिश्रकाययोग इनसे किसी एकके प्रकृत होनेपर शेषके आलाप नहीं होते हैं। ऐसा जानना चाहिए ॥ २२९ ॥ विशेषार्थ- गोमट्टसार जीवकाण्डमें भी यही गाथा पाई जाती है; परंतु उसमें 'उवसमसम्मत्त ' के स्थानमें 'पढमुवसम्मत्त' पाठ पाया जाता है जो संगत प्रतीत होता है; क्योंकि, प्रथमोपशमसम्यक्त्वके साथ मनःपर्ययज्ञान, परिहारविशुद्धिसंयम और आहारद्विक इन सबके होनेका विरोध है औपशमिकसम्यक्त्वके साथ नहीं। यद्यपि औपशमिकसम्यक्त्वके साथ परिहाराविशुद्धिसंयम और आहारद्विक नहीं होते हैं फिर भी द्वितीयोपशमसम्यक्त्वकी अपेक्षा औपशमिकसम्यक्त्वके साथ मनःपर्ययज्ञानका होना संभव है, इसलिये गाथामें 'उवसमसम्मत्त' ऐसा सामान्य पद रखनेसे औपशमिकसम्यक्त्वके साथ भी मनःपर्ययज्ञानके होनेका निषेध हो जाता है जो आगम विरुद्ध है। तो भी ‘उवसमसम्मत्त' पदका अर्थ प्रथमोपशमसम्यक्त्व कर लेने पर कोई दोष नहीं आता है यही समझकर पाठमें परिवर्तन नहीं किया है। संयम आलापके आगे आदिके तीन दर्शन, द्रव्यसे छहों लेश्याएं, भावसे तीन शुभ लेश्याएं, भव्यसिद्धिक, औपशमिकसम्यक्त्व, संक्षिक, आहारक, साकारोपयोगी और अनाकारोपयोगी होते हैं। १ मणपज्जव परिहारो पटमुवसम्मत्त दोणि आहारा । एदेसु एकपगदे णत्थि त्ति असेसयं जाणे ॥ गो. जी. ७२९. नं. ५०० उपशमसम्यग्दृष्टि अप्रमत्तसंयत जीवोंके आलाप. । गु.जी..प्रा. सं. ग. इ.का. यो. | वे. क. सा. संय. | द. ल. म. स. । संजि. आ. उ. । आहा.म.पं.त्र. म. ४ विना. अना. मति. सामा. के.द.मा.३ म. औप. सं. आहा. साका. शुत. छेदो. विना. शुभ. । अव. मनः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001396
Book TitleShatkhandagama Pustak 02
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1940
Total Pages568
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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