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(२५)
श्रीमूलसंघप्रवरे नन्द्याम्नाये मनोहरे । बलात्कारगणोत्तंसे गच्छे सारस्वतीयके ॥ २ ॥ कुन्दकुन्दान्वये श्रेष्ठमुत्पन्नं श्रीगणाधिपम् । तमेवात्र प्रवक्ष्यामि श्रूयतां सज्जना जनाः ॥ ३ ॥
पट्टावली
अंतिम-जिण-णिव्वाणे केवलणाणी य गोयम-मुणिंदो । बारह-वासे य गये सुधम्म-सामी य संजादो ॥ १ ॥ तह बारह-वासे पुण संजादो जम्बु - सामि मुणिणाहो । अठतीस-वास रहियो केवलणाणी य उक्किट्ठो ॥ २ ॥ वासहि- केवल वासे तिहि मुणी गोयम सुधम्म जंबू य । बारह बारह दो जण तिय दुगहीणं च चालीस ॥ ३ ॥ सुयकेवल पंच जणा बासहि- वासे गये सुसंजादा पढमं चउदह- वासं विहुकुमारं मुणेयव्वं ॥ ४ ॥ नंदिमित्त वास सोलह तिय अपराजिय वास वाबीसं ॥ इग-ही-वीस दासं गोवद्धण भद्दबाहु गुणतीसं ॥ ५ ॥ सद सुयकेवलणाणी पंच जणा विण्हु नंदिमित्तो य ॥ अपराजिय गोवद्धण तह भद्दबाहु य संजादा ॥ ६ ॥ सद-वास सुत्रासे गए सु-उप्पण्ण दह सुपुव्वहरा ॥ सद-तिरासि वासाणि य एगादह मुणिवरा जादा ॥ ७ ॥ आयरिय विसाख पोट्ठल खत्तिय जयसेण नागसेण मुणी ॥ सिद्धत्थ धित्ति विजयं बुहिलिंग देव धमसेणं ॥ ८ ॥
दह उगणीस य सत्तर इकवीस अट्ठारह सत्तर ॥ अठ्ठारह तेरह वीस चउदह चोदय ( सोडस ) कमेणेयं ॥ ९ ॥ अंतिम जिण णिचाणे तियसय-पण चालवास जादेसु । एगादहंगधारिय पंच जणा मुणिवरा जादा ॥ १० ॥ नक्खतो जयपालग पंडव ध्रुवसेन कंस आयरिया | अठारह वीस-वासं गुणचालं चोद बत्तीसं ॥ ११ ॥ सद तेवीस वासे एगादह अंगधरा जादा ।
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