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________________ (१३) ८. प्रतियोंमें अवतरण गाथाएं प्रायः अनियमितरूपसे उक्तं च या उत्तं च कहकर उद्धृत की गई हैं । नियमके लिये हमने सर्वत्र संस्कृत पाठके पश्चात् उक्तं च और प्राकृत पाठके पश्चात् उत्तं च रक्खा है। ९. प्रतियोंमें संधिके संबंध भी बहुत अनियम पाया जाता है। हमने व्याकरणके संधिसंबंधी नियमोंको ध्यानमें रखकर यथाशक्ति मूलके अनुसार ही पाठ रखनेका प्रयत्न किया है, किंतु जहां विराम चिन्ह आगया है वहां संधि अवश्य ही तोड़ दी गई है। १०. प्रतियोंमें प्राकृत शब्दोंमें लुप्त व्यंजनोंके स्थानोंमें कहीं य श्रुति पाई जाती है और कहीं नहीं । हमने यह नियम पालनेका प्रयत्न किया है कि जहां आदर्श प्रतियोंमें अवशिष्ट खर ही हो वहां यदि संयोगी स्वर अ या आ हो तो य श्रुतिका उपयोग करना, नहीं तो य श्रुतिका उपयोग नहीं करना । प्रतियोंमें अधिकांश स्थानोंपर इसी नियमका प्रभाव पाया जाता है। पर ओ के साथ भी बहुत स्थानों पर य श्रुति मिलती है और ऊ अथवा ए के साथ कचित् ही, अन्य स्वरों के साथ नहीं। (१) ओ के साथ य श्रुतिके उदाहरण - भणियो, जाणयो, विसारयो, पारयो, आदि । (२) ऊके साथ-वज्जियूण (३) ए के साथ-परिणयेण (परिणतेन ) एक्कारसीये, आदीये, इत्यादि । ४. पट्खंडागमके रचयिता प्रस्तुत ग्रंथके अनुसार (पृ. ६७) षखंडागमके विषयके ज्ञाता धरसेनाचार्य थे, जो सोरठ देशके गिरिनगरकी चन्द्रगुफामें ध्यान करते थे । नंदिसंघकी प्राकृत पट्टावलीके . अनुसार वे आचारांग के पूर्ण ज्ञाताथे किन्तु 'धवला 'के शब्दोंमें वे अंगों और पूर्वोके एकदेश धरसेन - ज्ञाता थे। कुछ भी हो वे थे भारी विद्वान् और श्रुत-वत्सल । उन्हें इस बातकी चिंता हुई कि उनके पश्चात् श्रुतज्ञानका लोप हो जायगा, अतः उन्होंने महिमा नगरीके मुनिसम्मेलनको पत्र लिखा जिसके फलस्वरूप वहांसे दो मुनि उनके पास पहुंचे । आचार्यने उनकी बुद्धिकी परीक्षा करके उन्हें सिद्धान्त पढ़ाया । ये दोनों मुनि पुष्पदंत और भूतबलि थे । धरसेनाचार्यने इन्हें सिखाया तो उत्तम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001395
Book TitleShatkhandagama Pustak 01
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1939
Total Pages560
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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