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________________ (८) इनके अतिरिक्त, जहांतक हमें ज्ञात है, सिद्धान्त ग्रंथोंकी प्रतियां सोलापुर, झालरापाटन, ब्यावर, बम्बई, इन्दौर, अजमेर, दिल्ली और सिवनीमें भी हैं। इनमेंसे केवल बम्बई दि. जैन सरस्वती भवन की प्रति का परिचय हमारी प्रश्नावलीके उत्तरमें वहां के मैनेजर श्रीयुत् पं. रामप्रसादजी शास्त्रीने भेननेकी कृपा की, जिससे ज्ञात हुआ कि वह प्रति. आराकी उपर्युक्त नं. ९ की प्रति पर से पं. रोशनलालद्वारा सं. १९८९ में लिखी गई है, और उसी परसे झालरापाटन ऐलक पन्नालाल दि. जैन सरस्वती भवन के लिए प्रति कराई गई है । सागरकी सत्तर्कसुधातरंगिणी पाठशालाको प्रतिका जो परिचय वहां के प्रधानाध्यापक पं. दयाचन्द्रजी शास्त्रीने भेजने की कृपा की है, उससे ज्ञात हुआ है कि सिवनी की प्रति सागरकी प्रतिपरसे ही की गई है। शेष प्रतियोंका हमें हमारी प्रश्नावलीके उत्तरमें कोई परिचय भी नहीं मिल सका । इससे स्पष्ट है कि स्वयं सीताराम शास्त्रीके हाथकी लिखी हुई जो तीन प्रतियां कारंजा, आरा और सागरकी हैं, उनमेंसे पूर्व दोका तो हमने सीधा उपयोग किया है और सागरकी प्रतिका उसकी अमरावतीवाली प्रतिलिपि परसे लाभ लिया है। धवल सिद्धान्तकी प्रतियोंकी पूर्वोक्त परम्पराका निदर्शक वंशवृक्ष १ ताड़पत्र प्रति (मूडविद्री) २ कनाड़ी (मविद्री) . ३ नागरी (मुडविद्री) १९७३ ४ कनाड़ी (सहारनपुर) १९७३ ५ नागरी (सहारनपुर) १८ ६ प्रति (पं. सीताराम) ९ प्रति (आरा) ७ प्रति (सागर) १९८३ १० प्रति (कारंजा) १९८८ ८ प्रति अमरावती प्रस्तुत संस्करण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001395
Book TitleShatkhandagama Pustak 01
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1939
Total Pages560
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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