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________________ महाबंधे पदेसबंधाहियारे जह जो० । ओरालि मि० सत्तण्ण क० ज० प० क० ? अण्ण० सुहमणिगोद० पढमस तब्भव० जह०जो० । आउ० ज० ५० क.? अण्ण० सुहुमएइंदि०अपज्जत्तभंगो। ५२. वेउव्वियका० सत्तण्णं क० ज० प० क० ? अण्ण० देव० णेरइ० सम्मा० मिच्छा० पढमसमयसरीरपजत्तीए पजत्तयदस्स जहजो० । आउ० ज० प० क० ? अण्ण० देव० णेरइ० सम्मा० मिच्छा० घोडमाणजह०जो० । वेउव्वियमि० सत्तणं क० ज० प० क० ? अण्ण० देव० णेरइ. 'असण्णिपच्छागदस्स पढम०तब्भवत्थ० जह जो० । ५३. आहारका० अट्ठण्णं क० ज० प० क० ? अण्ण. पढमसमयसरीरपज्जत्तीए पज्जत्तगदस्स अट्ठविध० जह०जोगि० । आहारमि० अहणं क० ज० ५० क० ? अण्ण० अहविध० पढमसमयआहारयस्स ज०जोगि० । कम्मइ० सत्तणं क. ज. प. क० १ अण्ण० सुहुमणिगोदजीवस्स पढमसमयविग्गहगदीए' वट्ट० जह०जोगि० । एवं अणाहार०।। ५४. इत्थि-पुरिसेसु सत्तण्णं क० ज० प० क० ? अण्ण० असण्णि० पढम०तब्भव० जह०जो० । आउ० ज० पदे० क० ? असणि. घोडमा०जजो० । अवस्वामी कौन है ? जो अन्यतर सूक्ष्म निगोदिया जीव प्रथम समयवर्ती तद्भवस्थ और जघन्य योगवाला है, वह सात कर्मों के जघन्य प्रदेशबन्धका स्वामी है। आयुकमके जघन्य प्रदेशबन्धका स्वामी कौन है ? अन्यतर जीव है,जिसका भंग सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तकांके समान है। ५२. वैक्रियिककाययोगी जीवों में सात कर्मों के जघन्य प्रदेशबन्धका स्वामी कौन है ? प्रथम समयमें शरीर पर्याप्तिसे पर्याप्त हआ और जघन्य योगवाला अन्यतर सम्यग्हष्टि और मिथ्यादृष्टि देव और नारकी जीव उक्त सात कमों के जघन्य प्रदेशबन्धका स्वामी है। आयुकर्मके जघन्य प्रदेशबन्धका स्वामी कौन है ? घोलमान जघन्य योगवाला सम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि भन्यतर देव और नारकी जीव आयुकर्मके जघन्य प्रदेशबन्धका स्वामी है। वैक्रियिकमिश्रकाययोगियों में सात कर्मों के जघन्य प्रदेशबन्धका स्वामी कौन है ? जो असंझियोंमेंसे आकर देव और नारकी हुआ है, ऐसा अन्यतर प्रथम समयवर्ती तद्भवस्थ और जघन्य योगवाला जीव उक्त सात कर्मो के जघन्य प्रदेशबन्धका स्वामी है। ५३. आहारककाययोगी जीवोंमें आठों कर्मो के जघन्य प्रदेशबन्धका स्वामी कौन है ? जो अन्यतर प्रथम समयमें शरीर पर्याप्तिसे पर्याप्त हुआ और आठ प्रकारके जघन्य योगवाला है, आठा कमाके जघन्य प्रदेशबन्धका स्वामी है। आहारकामश्रकाययोगी जीवोंमें आठों कर्मो के जघन्य प्रदेशबन्धका स्वामी कौन है ? जो अन्यतर आठ प्रकारके कर्मोंका बन्ध कर रहा है, प्रथम समयमें आहारक हुआ है और जघन्य योगमें विद्यमान है, वह आठों कर्मो के जघन्य प्रदेशबन्धका स्वामी है। कार्मणकाययोगी जीवोंमें सात कर्मो के जघन्य प्रदेशवन्धका स्वामी कौन है ? जो सूक्ष्म निगोदिया जीव प्रथम समयवर्ती विग्रहगतिमें विद्यमान है और जघन्य योगवाला है, वह उक्त सात कर्मों के जघन्य प्रदेशबन्धका स्वामी है। इसी प्रकार अनाहारकोंमें जानना चाहिए। ५४. स्त्रीवेदी और पुरुषवेदी जीवोंमें सात कर्मो के जघन्य प्रदेशबन्धका स्वामी कौन है ? जो अन्यतर असंज्ञी जीव प्रथम समयवर्ती तद्भवस्थ और जघन्य योगवाला है, वह उक्त सात १. आ०प्रतौ पढमविग्गहगदीए इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001393
Book TitleMahabandho Part 6
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages394
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size10 MB
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