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________________ महाबन्ध कर्म उत्कृष्ट । अनुत्कृष्ट जघन्य अजघन्य ........ सादि-अध्रुव सादि आदि चार : सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव ज्ञानावरण मूल व उत्तर प्रकृतियाँ दर्शनावरण मूल व छह उत्तर प्रकृतियाँ त्यानगृद्धि आदि तीन सादि-अधू व सादि आदि चार सादि-अभ्र व सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव सादि-अध्रव वेदनीय मूल सादि-अध्रव सादि आदि चार । सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव उत्तर प्रकृतियाँ सादि-अध्रुव | सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव । सादि-अध्रुव मोहनीय मूल व मिथ्यात्व, अनन्तानुबन्धीचतुष्क और सात नोकषाय सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव सादि आदि चार | सादि-अध्रुव । सादि-अध्रुव बारह काय, भय और जुगुप्सा आयु मूल व उत्तर प्रकृतियाँ सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव नामकर्म मूल सादि-अध्रव | सादि आदि चार | सादि-अध्रव सादि-अध्रुव नामकर्म की सब उत्तर प्रकृतियाँ सादि-अध्रुव __ सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव गोत्रकर्म मूल सादि-अध्रुव सादि आदि चार सादि-अध्रुव सादि-अध्रव सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव गोत्रकर्म की उत्तर प्रकृतियाँ अन्तरायकर्म मूल व उत्तर प्रकृतियाँ सादि-अध्रुव सादि आदि चार सादि-अध्रुव सादि-अध्रुव स्वामित्वप्ररूपणा-इसमें ओघ और आदेशसे मूल व उत्तर प्रकृतियोंके उस्कृष्ट और जघन्य प्रदेशबन्धके स्वामीका निर्देश किया गया है। यहाँ इसे संदृष्टि देकर दिखलाया जाता है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001393
Book TitleMahabandho Part 6
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages394
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size10 MB
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