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महाबंधे पदेसबंधाहियारे १४८. सामित्ताणुगमेण दुवि०-ज० उ० । उ० पग० । दुवि०-ओघे० आदे० । ओघे० [छ० क.] उक्कस्सिया बड्डी कस्स ? यो सत्तविधबंधगो तप्पाओग्गजहण्णादो जोगहाणादो उक्कस्सयं जोगहाणं गदो [छविध-] बंधगो जादो तस्स उक्क० वड्डी । उक्क० हाणी कस्स' ? यो छविधबंधगो उक्कस्सजोगी मदो देवो जादो तदो तप्पाऑग्गजहण्णए जोगहाणे पडिदो तस्स उ० हाणी । उक्क० अवहाणं कस्स ? यो छविधबंध० उक्क०जोगी पडिभग्गो तप्पाऑग्गजहण्णए जोगहाणे पदिदो तदो सत्तविधबंधगो जादो तस्स उ. अवहाणं । उक्कस्सगादो जोगहाणादो पडिभग्गो यम्हि तप्पाओग्गजहण्णए जोगहाणे पडिदो तदो जोगहाणं थोवयरं । तप्पाओग्ग जहण्णगादो जोगहाणादो उक्कस्सयं जोगहाणं गच्छदि तं जोगहाणं असं०गु० । एदमुक्कस्सयमवहाणसाधणपदं।
१४९. मोह० उक्क० वड्डी कस्स ? यो अहविधबंधगो तप्पाओग्गजहण्णगादो जोगहाणादो उक्कस्सयं जोगहाणं गदो तदो सत्तविधबंधगो जादो तस्स उक्क० वड्डी । उक्क० हाणी कस्स ? यो सत्तविधबंधगो उक्कस्सजोगी मदो सुहुमणिगोदजीवअपजत्तएसु उ ववण्णो तप्पाओग्गजहण्णए पडिदो तस्स उ० हाणी । उक्क० अवहाणं
१४८. स्वामित्वानुगम दो प्रकारका है-जघन्य और उत्कृष्ट । उत्कृष्टका प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका है--ओघ और आदेश । ओघसे छः कर्मोंकी उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी कौन है ? सात प्रकारके कर्मोका बन्ध करनेवाला जो जीव तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानसे उत्कृष्ट योगस्थानको प्राप्त होकर छ प्रकारके कर्मोंका बन्धक हुआ है वह उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी है। उस्कृष्ट हानि का स्वामी कौन है ? जो छह प्रकारके कर्मोंका बन्ध करनेवाला उत्कृष्ट योगवाला जीव मरकर देव हुआ। अनन्तर तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानमें गिरा वह उत्कृष्ट हानिका स्वामी है। उत्कृष्ट अवस्थानका स्वामी कौन है ? जो छह प्रकारके कर्मोंका बन्ध करनेवाला उत्कृष्ट योगसे युक्त जीव प्रतिभग्न होकर तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानमें गिरा। अनन्तर सात प्रकारके कर्मोका बन्ध करने लगा वह उत्कृष्ट अवस्थानका स्वामी है। उत्कृष्ट योगस्थानसे प्रतिभग्न होकर जिस तात्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानमें गिरा । उससे वह योगस्थान स्तोकतर है। तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानसे उत्कृष्ट योगस्थानको जाता है वह योगस्थान असंख्यातगुणा है। यह उत्कृष्ट अवस्थानका साधनपद है।
१४९. मोहनीयकी उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी कौन है ? जो आठ प्रकारके कर्मोका बन्ध करनेवाला जीव तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानसे उत्कृष्ट योगस्थानको प्राप्त होकर सात प्रकारके कर्मोका बन्ध करने लगा वह उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी है । उत्कृष्ट हानिका स्वामी कौन है ? जो सात प्रकारके कर्मोंका बन्ध करनेवाला उत्कृष्ट योगसे युक्त जीव मरकर तथा सूक्ष्म निगोद अपर्याप्त जीवोंमें उत्पन्न होकर तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानमें गिरा वह उत्कृष्ट हानिका स्वामी है। उत्कष्ट अवस्थानका स्वामी कौन है? सात प्रकारके कर्मोका बन्ध करता हआ जो उत्कृष्ट योग
१. ता०प्रतौ उक्कस्सयं [ जोगट्ठाणं "बंधगो जादो तस्स उक्कस्सिया वड्ढी ] । उ० हा० कस्स इति पाठः । २. ता०प्रती जोगहाण......[ थोवयरं] तप्पाओग-इति पाठः । ३. आ० प्रती एवमुक्कस्सय इति पाठः । ४. ता :प्रतौ सुहमणिगोदजीवएसु, इति पाठः ।
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