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महाबंधे अणुभागबंधाहियारे २६. आहार-आहारमि० धादि०४ उक्क० अणुभा० कस्स० १ अण्ण० सागा०जागा० णियमा उक्क० संकिलि० उक्क० वट्ट० । वेदणी०-णामा-गो० उक० अणु० कस्स० ? अण्ण. सागार-जा० सव्वविसु० उक्क० अणु० वट्ट । आयु० उक्क० अणुभा० कस्स० १ अण्ण. सागार-जा० तप्पाऑग्गविसु० उक्क० वट्ट० । णवरि आहारमिस्स० सरीरपजत्तीहि गाहिदि ति ।
२७. कम्मइग० घादि०४ उक्क० अणुभा० कस्स० १ अण्ण० चदुगदियस्स सण्णि-मिच्छादि० सागार-जाणियमा उक्क० संकिलि० उक्क० अणुभागबंधे वट्ट० वेदणी०णामा-गो० उक० अणुभा० कस्स ? अण्णद० चद्गदियस्स सम्मादि० सागार-जा० सव्वविसु० उक्क० अणुभा० वट्ट० । अथवा उवसमस्स कालगदस्स पढमसमयदेवगदस्स ।
२८. इत्थि०-पुरिस० घादि०४ उक्क० अणुभा० कस्स० १ अण्ण. तिगदियस्स सण्णि-मिच्छादिट्टि० सागार-जा० णियमा उक्क. संकिलि. उक्क० वट्ट० । वेदणी०णामा-गो० उक्क० अणुभा० कस्स० १ अण्णद० खवगस्स अणियट्टि उक्क० अणुभा० वट्ट० । आयु० ओघं।
२६. णqसगे घादि०४ उक्क. अणुभा० कस्स.? अण्णद. तिगदियस्स
२६. आहारककाययोगी और आहारकमिश्रकाययोगी जीवोंमें चार घातिकर्मों के उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ? साकार-जागृत, नियमसे उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्धमें अवस्थित अन्यतर उक्त जीव उक्त कर्मों के उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है । वेदनीय, नाम
और गोत्रकर्मके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ? साकार-जागृत,सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्धमें अवस्थित अन्यतर उक्त जीव उक्त कर्मों के उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है। आयुकर्मके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ? साकार-जागृत, तत्प्रायोग्य विशुद्धियुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्धमें अवस्थित अन्यतर उक्त जीव आयुकर्मके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है। इतनी विशेषता है कि आहारकमिश्रकाययोगमें जो जीव शरीर पर्याप्तिको ग्रहण करेगा,वह आयुकर्मके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है।
२७. कार्मणकाययोगी जीवोंमें चार घातिकोंके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ? साकार-जागृत, नियमसे उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्धमें अवस्थित अन्यतर चार गतिका संज्ञी मिथ्यादृष्टि जीव चार घातिकर्मों के उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है । वेदनीय, नाम और गोत्रकर्म के उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ? साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागवन्धमें अवस्थित अन्यतर चार गतिका सम्यग्दृष्टि जीव उक्त कर्मों के उत्कृष्ट अनुभागवन्धका स्वामी है । अथवा जो उपशामक जीव मर कर प्रथम समयवर्ती देव हुआ है,वह उक्त कर्मों के उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है।
२८. स्त्रीवेदी और पुरुषवेदी जीवोंमें चार घातिकर्मों के उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ? साकार-जागृत, नियमसे उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागवन्धमें अवस्थित तीन गतिका संज्ञी मिथ्यादृष्टि जीव उक्त कर्मों के उत्कृष्ट अनुभागवन्धका स्वामी है । वेदनीय, नाम और गोत्रकर्मके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ? उत्कृष्ट अनुभागबन्धमें अवस्थित अन्यतर क्षपक अनिवृत्ति करण जीव उक्त कर्मों के उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है । आयु कर्मका भङ्ग ओघके समान है।
२६. नपुंसकवेदवाले जीवोंमें चार घातिकर्मके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ?
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