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महाबंधे दिदिबंधाहियारे क्खाणु०-अगु०-उप०-अथिरादिपंच-णिमिण-णीचागोद-पंचतरा० उक्क० हिदि. कस्स० ? अण्ण• चदुगदियस्स पंचिदियस्स सपिणस्स मिच्छादि सागार-जा. उक्क० संकिलि०। सादावे-इत्थि०-पुरिस०-हस्स-रदि-मणुसगदि-पंचसंठा-पंचसंघ०मणुसगदिपाओग्ग०-पसत्थवि०-थिरादिछक्क-उच्चागो० उक्क० हिदि० कस्स. ? अण्णद० चद्गदियस्स पंचिंदियस्स सएिणस्स मिच्छादि० सागार-जा. तप्पाओ० संकिलि।
११. देवगदिचदु० उक्क० हिदि० कस्स० १ अण्ण. दुगदियस्स सम्मादिहिस्स सागार-जा० उक्क० संकिलिक । तित्थय० उक्क हिदि. कस्स० १ अएणद० तिगदियस्स सम्मादि० सागार-जा० उक्क० संकिलि । एइंदिय०-श्रादाव-थावर० · उक्क० हिदि कस्स० १ अण्ण० ईसाणंतदेवस्स सागार-जागार उक्क. संकिलिः ।
वरि एइंदि०-थावर० तिगदियस्स ति भाणिदव्वं । बीइंदि०-तीइंदि०-चदुरिंदि० उक्क० हिदि० कस्स० १ अएणद० तिरिक्खस्स वा मणुसस्स- वा सागार-जा. तप्पा संकिलि०। पंचिंदि०-ओरालि अंगो०-असंपत्तसेव०-अप्पसत्य-तसदुस्सर० उक्क० हिदि० कस्स० १ अएण० देवस्स वा सहस्सारगस्स ऐरइगस्स वा अस्थिर आदिक पाँच, निर्माण, नीचगोत्र और पाँच अन्तराय प्रकृतियोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? साकार जागृत और उत्कृष्ट संक्लेश परिणामवाला अन्यतर चारगतिका पञ्चेन्द्रिय संशी मिथ्यादृष्टि कार्मणकाययोगी जीव उक्त प्रकृतियोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है। सातावेदनीय, स्त्रीवेद, पुरुषवेद, हास्य, रति, मनुष्यगति, पाँच संस्थान, पाँच संहनन, मनुष्यगति प्रायोग्यानुपूर्वी, प्रशस्तविहायोगति, स्थिरादिक छह और उच्चगोत्रके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है? साकार जागृत और तत्प्रायोग्य संक्लेश परिणामवाला अन्यतेर चार गतिका पञ्चेन्द्रिय संशी मिथ्यादृष्टि कार्मणकाययोगी जीव उक्त प्रकृतियोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है।
९१. देवगति चतुष्कके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? साकारजागृत और उत्कृष्ट संक्लेश परिणामवाला अन्यतर दो गतिका सम्यग्दृष्टि कार्मणकाययोगी जीव उक प्रकृतियोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है । तोर्थङ्कर प्रकृतिके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? साकारजागृत और उत्कृष्ट संक्लेश परिणामवाला अन्यतर तीन गतिका सम्यग्दृष्टि कार्मणकाययोगी जीव तीर्थङ्कर प्रकृतिके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है। एकेन्द्रियजाति, श्रातप और स्थावर प्रकृतिके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है? साकारजागृत और उत्कृष्ट संक्लेश परिणामावाला अन्यतर ऐशान कल्पतकका देव उक्त प्रकृतियोंके उकृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है । इतनी विशेषता है कि एकेन्द्रिय और स्थावर प्रकृतिके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी तीन गतिका जीव है;यहाँ कहना चाहिए । द्वीन्द्रियजाति, श्रीन्द्रियजाति और चतुरिन्द्रिय जातिके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? साकार जागृत और तत्प्रायोग्य संक्लेश परिणामवाला अन्यतर तिर्यञ्च और मनुष्य कार्मणकाययोगी जीव उक्त प्रकृतियोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है । पञ्चेन्द्रियजाति, औदारिक आंगोपांग, असम्प्राप्तासृपाटिका संहनन, अप्रशस्त विहायोगति, प्रस और दुस्वर प्रकृतिके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? साकार जागृत और उत्कृष्ट संक्लेश परिणामवाला अन्यतर सहस्रार कल्पका देव और नारकी मिथ्यादृष्टि कार्मण काययोगी जीव उक्त प्रकृतियोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है।
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