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महाबंधे हिदिबंधाहियारे
भागाभागो ३८६. भागाभागाणुगमेण दुवि०-ओघे० आदे० । ओघे० सत्तएणं क० असंखेज्जभागवडि-हाणिबंधगा सव्वजीवाणं केवडियो भागो ? असंखेज्जदिभागो । अवहिदबंध केवडियो भागो ? असंखेज्जा भागा। सेसाणं पदाणं बंध. सव्व० केव० ? अणंतभागो । आयु० भुजगारभंगो सव्वत्थ । एवं अणंतरासीणं सव्वेसिं । णवरि सगपदाणि जाणिदव्वाणि । सेसाणं असंखेज्जजीवाणं अवहि. असंखेज्जा भागा। सेसपदाणि असंखेज्जदिभागो । संखेज्जजीवाणं पि अवहि० संखेज्जा भागा । सेसपदा० संखेजदिभागो । एवं भागाभागं समत्तं ।।
परिमाणं ३८७. परिमाणाणुगमेण दुवि०-ओघे० आदे० । ओघे० असंखेजभागवड्डिहाणि-अवहिदबंधगा केत्तिया ? अणंता । दोवड्डि-हाणिबंध असंखेज्जा । असंखेज्जगुणवडिहाणि-अवत्तव्वबंधगा संखेज्जा । आयु० दो पदा अणंता । एवं ओघभंगो तिरिक्खोघं एइंदिय-वरणप्फदि-णियोद-कायजोगि-ओरालियका-ओरालियमि०
भागाभाग ३८६. भागाभागानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-श्रोध और आदेश। ओघसे सात कौकी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यात भागहानिका बन्ध करनेवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यातवें आगप्रमाण हैं। अवस्थितपदका बन्ध करनेवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण है ? असंख्यात बहुभागप्रमाण हैं। शेष पदोंका बन्ध करनेवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? अनन्तवें भागप्रमाण हैं। आयुकर्मके दोनों पदोंका भागामाग सर्वत्र भुजगार बन्धके समान है। इसी प्रकार सब अनन्त राशियोंका भागाभाग जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि अपने-अपने पदोको जानकर भागाभाग कहना चाहिए। शेष असंख्यात जीवप्रमाण मार्गणाओंमें अवस्थित पदका बन्ध करनेवाले जीव अपनी-अपनी राशिके असंख्यात बहुभागप्रमाण हैं । तथा शेष पदोंका बन्ध करनेवाले जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। संख्यात संख्यावाली मार्गणाओं में भी अवस्थित पदका बन्ध करनेवाले जीव अपनी-अपनी राशिके संख्यात बहुभागप्रमाण हैं और शेष पदोंका बन्ध करनेवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं।
इस प्रकार भागाभाग समाप्त हुआ।
परिमाण २८७. परिमाणानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश । ओघसे असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि और अवस्थित पदका बन्ध करनेवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। दो वृद्धियों और दो हानियोंका बन्ध करनेवाले जीव असंख्यात हैं । असं. ख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि और अवक्तव्य पदका बन्ध करनेवाले जीव संख्यात हैं। आयुकर्मके दोनों पदोंका बन्ध करनेवाले जीव अनन्त हैं। इसी प्रकार ओघके समान सामान्य तिर्यञ्च, एकेन्द्रिय, वनस्पतिकायिक, निगोद, काययोगी, औदारिककाययोगी, औदारिकमिश्रकाययोगी, कार्मणकाययोगी, नपुंसकवेदी, क्रोधादि चार कषायवाले, मत्यवानी,
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