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________________ ६२ महाबंधे ठिदिबंधाहियारे अणु० जह० एग०, उक्क० अंतो० । आयु० उक्क० जह• बावीसं वस्ससहस्साणि समयूणाणि, उक्क० अणंतकालमसंखे० । अणुक्क० जह• अंतो०, उक्क० बावीसं वस्ससहस्साणि सादि । बादर० सत्तएणं क० उक्क० जह• अंतो०, उक्क० अंगुलस्स असंखे । पज्जत्ते संखेज्जाणि वस्ससहस्साणि । अणु० जह• एगस०, उक० अंतो० । सुहुम० सत्तएणं क. उक्क. जह• अंतो०, उक्क० अंगुलस्स असंखे । पज्जत्ते अंतोमु० । अणु० जह० एग०, उक्क अंतो० । आयु० सव्वेसिं उन जह• भवहिदी समयू । उक्कस्सेण सगट्टिदी । अणु० पगदिअंतरं । १०२. बेइंदि-तेइंदि०-चदुरिंदि० तेसिं चेव पज्जत्ता सत्तएणं क. उक्का जह अंतो०, उक्क० संखेज्जाणि वस्ससहस्साणि । अणु० ओघं। आयुग. उक्क० जह बारस वस्साणि एगृणवरणरादिदियाणि छम्मासाणि समयूणाणि । उक्कर कायहिदी । अणुक्क जह• अंतो०, उक्क० बारसवस्साणि एगूणवर्गणरादिदियाणि छम्मासाणि सादिरेयाणि । समय है और उत्कृष्ट अन्तर अन्तर्मुहूर्त है। आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर एक समय कम बाईस हजार वर्ष है और उत्कृष्ट अन्तर अनन्तकाल है जो असंख्यात पुगल परिवर्तनप्रमाण है। अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर साधिक बाईस हजार वर्ष है। बादर एकेन्द्रियोंमें सात कौके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर अंगुलके असंख्यातवें भागप्रमाण है। बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तकोंमें यह उत्कृष्ट अन्तर संख्यात हजार वर्ष है। अनुत्कृष्टं स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर अन्तर्मुहूर्त है। सूक्ष्म-एकेन्द्रियों में सात कौके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर अंगुलके असंख्यातवें भागप्रमाण है। तथा सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकोंमें यह उत्कृष्ट अन्तर अन्तर्मुहूर्त है। अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर अन्तर्मुहूर्त है। इन सबके आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर एक समय कम अपनी-अपनी भवस्थिति प्रमाण है और उत्कृष्ट अन्तर अपनी-अपनी कायस्थिति प्रमाण है। अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका अन्तर प्रकृतिबन्धके अन्तर प्रमाण है। १०२. द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों में तथा इन्हींके पर्याप्तकोंमें सात कौके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर संख्यात हजार वर्ष है। अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका अन्तर ओघके समान है। आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर क्रमसे एक समय कम बारह वर्ष, एक समय कम उनचास रात्रिदिन और एक समय कम छह महीना है। तथा उत्कृष्ट अन्तर कायस्थिति प्रमाण है । अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर क्रमसे साधिक बारह वर्ष, साधिक उनचास दिन और साधिक छह महीना है।। विशेषार्थ-द्वीन्द्रिय, द्वीन्द्रिय पर्याप्तकोंकी उत्कृष्ट भवस्थिति बारह वर्ष, त्रीन्द्रिय और त्रीन्द्रिय पर्याप्तकोंकी उत्कृष्ट भवस्थिति उनचास दिन रात तथा चतुरिन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय पर्याप्तकोंकी उत्कृष्ट भवस्थिति छह महीना है और इन सबकी कायस्थिति संख्यात हजार वर्ष है। इस स्थितिको ध्यानमें रखकर यहां सात कौके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका १. ध० पु ७,पृ. १४१ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001389
Book TitleMahabandho Part 2
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1998
Total Pages494
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size12 MB
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