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________________ ३६९ पयडिबंधाहियारो संखेजगुणा । इत्थिवे. बंधगा जीवा संखेजगु० । जस० बंधगा जीवा संखेजगुणा । हस्स-रदि-बंधगा जीवा संखेजगुणा । साद-बंधगा जीवा विसेसा० । असाद-अरदि-सो० बंधगा जीवा संखेजगु० । अज्ज० बंधगा जीवा विसेसा०। णवूस बंधगा जीवा विसेसा० । तिरिक्खगदि-बंधगा जीवा विसेसा० । णीचागो० बंधगा जीवा विसेसा० । मिच्छत्तबंधगा जीवा विसेसा० । थीणगिद्धि३ अणंताणुबं०४ बंधगा जीवा विसेसा० । ओरालि० बंधगा जीवा विसेसा० । सेसाणं बंधगा जीवा सरिसा विसेसा० । ३३६. इथिवे. पुरिस०-सव्वत्थोवा आहार० बंधगा जीवा । मणुमायु-बंधगा जीवा असंखेज० । णिरयायु-बंधगा जीवा असंखेज० । देवायु-बंधगा जीवा असंखेज०। तिरिक्खायुबंधगा जीवा संखेज० । देवगदि-बंधगा जी० संखेजगु० । णिरयगदि-बंधगा जीवा संखे० गुणा । वेउव्विय-बंधगा जी० विसेसा० । उच्चागो० बंधगा जीवा संखेजगु० । मणुसगदि० बंधगा जीवा संखेजगु० । पुरिसवे० बंधगा जीवा संखे० गुणा । इत्थिवे. बंधगा जीवा संखेजगु० । जस० बंधगा जीवा संखे० गुणा । हस्सरदिबंधगा जीवा संखेजगु० । अथवा हस्सरदि० बंधगा जीवा विसेसा० । साद-बंधगा जीवा विसेसा० । असाद-अरदि-सोग-बंधगा जीवा संखे० गुणा। अज० बंधगा जीवा वेदके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। स्त्रीवेदके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। यश कीर्तिके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। हास्य, रतिके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। सातावेदनीयके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं । असाता, अरति, शोकके बन्धक जीव संख्यातगणे हैं। अयशःकीर्तिके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। नपुंसकवेदके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। तियंच गतिके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। नीच गोत्रके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। मिथ्यात्वके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। स्त्यानगृद्धित्रिक तथा अनन्तानुबन्धी ४ के बन्धक जीव विशेषाधिक हैं । औदारिक शरीरके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। शेष प्रकृतियोंके बन्धक जीव समान रूपसे विशेषाधिक हैं। विशेषार्थ- कार्मण काययोगमें आयु चतुष्कका बन्ध नहीं होता, इससे यहाँ आयुबन्धका वर्णन नहीं किया गया है। कहा भी है-"कम्मे उरालमिस्सं वा णाउदुगेपि।" (गो० क०,११६)। ३३६. स्त्रीवेद, पुरुषवेदमें - आहारक शरीरके बन्धक जीव सबसे स्तोक हैं । मनुष्यायुके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं । नरकायुके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं । देवायुके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं । तिर्यंचायुके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। देवगति के बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। नरकगति के बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। वैक्रियिक शरीरके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। उच्च गोत्रके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। मनुष्यगति के वन्धक जीव संख्यातगुणे हैं । पुरुषवेदके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। स्त्रीवेदके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। यशःकीर्तिके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। हास्य, रतिके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। अथवा हास्य, रतिके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। साताके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं । असाता, अरति, शोकके बन्धक जीव संख्यातगणे हैं। अयशःकीर्तिके बन्धक जीव विशेषा ४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001388
Book TitleMahabandho Part 1
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1998
Total Pages520
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size12 MB
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