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महाबंधे
संजगुणा । एवं संघ० । सव्वत्थोवा उज्जीवं बंधगा जीवा । अबंधगा जीवा संखेजगुणा । सव्वत्थोवा तित्थयरं बंधगा जीवा । अबंधगा जीवा संखेञ्जगुणा |
३०२. एवं सत्तसु पुढवीसु । णवरि मज्झिमासु सव्वत्थोवा मणुसायुबंधगा जीवा । तिरिक्खायुबंधगा जीवा असंखेञ्जगुणा । दोष्णं आयुगस्स बंधगा जीवा विसेसाहिया | अबंधगा जीवा असंखेजगुणा । सव्वत्थोवा सत्तमाए पुढवीए मणुसगदि - मसाणुपुच्चि उच्चागोदाणं बंधगा जीवा । तिरिक्खगदि-तिरिक्खाणुपुव्वि णीचागोदाणं गाजीवा असंखेजगुणा । दोण्णं बंधगा जीवा विसेसाहिया । अबंधगा जीवा णत्थि । सव्वत्थोवा तिरिक्खायुबंधगा जीवा, अबंधगा जीवा असंखेज्जगुणा ।
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३०३. तिरिक्खेसु - सव्वत्थोवा थीणगिद्धि०३ अबंधगा जीवा । बंधगा जीवा अनंतगुणा । छदंसणा बंधगा जीवा विसेसाहिया । सव्वत्थोवा सादबंधगा जीवा । अदबंधगा जीवा संखेजगुणा । दोष्णं बंधगा जीवा विसेसाहिया । अबंधगा णत्थि । सव्वत्थोवा अपच्चक्खाणा ०४ अबंधगा जीवा । अनंताणुबं०४ अबंधगा असंखेजगुणा । मिच्छत्त-अवधगा जीवा विसे० | बंधगा जीवा अनंतगुणा । अनंताणु ०४ बंधगा जीवा विसेसा० । पच्चक्खागावरण ०४ (१) बंधगा जीवा विसेसा० । अडकसायाणं बंधगा जीवा विसेसाहिया । सव्वत्थोवा पुरिसवेदस्स बंधगा जीवा । इत्थिवेदस्स बंधगा जीवा
गुणे हैं । इस प्रकार संहनन में भी जानना चाहिए ।
उद्योतके बन्धक जीव सर्व स्तोक हैं; अवन्धक जीव संख्यातगुणे हैं । तीर्थंकर प्रकृतिके बन्धक जीव सर्व स्तोक हैं; अबन्धक जीव संख्यातगुणे हैं ।
३०२. इसी प्रकार सात पृथ्वियों में जानना चाहिए। विशेष यह है कि मध्यम पृथ्वियोंमें मनुष्यायु बन्धक जीव सर्व स्तोक हैं । तिर्यंचायुके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं। दोनों आयुओं के बन्धक जीव विशेपाधिक हैं; अबन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं ।
सातवीं पृथ्वी में - मनुष्यगति, मनुष्यानुपूर्वी तथा उच्च गोत्रके बन्धक जीव सर्व स्तोक हैं । तिर्यंचगति, तिचानुपूर्वी तथा नीच गोत्र के बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं । दोनों के ( मनुष्यगति, तिर्यंचगति आदि ) बन्धक जीव विशेष अधिक हैं; अबन्धक नहीं हैं । तिर्यचायुके बन्धक जीव सर्व स्तोक हैं; अबन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं ।
३०३. तिर्यंचों में -- स्त्यानगृद्धिन्त्रिकके अबन्धक जीव सर्वस्तोक हैं, बन्धक जीव अनन्त गुण हैं । ६ दर्शनावरणके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं ।
सातावेदनीयके बन्धक जीव सर्व स्तोक हैं; असाताके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं । दोनों के बन्धक जीव विशेष अधिक हैं; अबन्धक नहीं हैं । अप्रत्याख्यानावरण ४ के अबन्धक जीव सर्व स्तोक हैं । अनन्तानुबन्धी ४ के अबन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं । मिथ्यात्व के अबन्धक जीव विशेष अधिक हैं। इसके बन्धक जीव अनन्तगुणे हैं । अनन्तानुबन्धी ४ के बन्धक जीव विशेष अधिक हैं। प्रत्याख्यानावरण ४ के बन्धक जीव विशेषाधिक हैं । ८ कषाय, 5 प्रत्याख्यानावरण तथा संज्वलन के बन्धक जीव विशेषाधिक हैं ।
विशेष- यहाँ प्रत्याख्यानावरण ४ के बन्धकके स्थान में अप्रत्याख्यानावरण ४ के बन्धक पाठ सम्यक् प्रतीत होता है ।
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