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________________ पयडिबंधाहियारो ३२३ अनंतगुणा । इत्थवेदस्त बंधगा जीवा संखेजगुणा । हस्सरदिबंधगा जीवा संखेजगुणा । अरदिसोगाणं बंधगा जीवा संखेजगुणा । णवुंसगवेदस्स बंधगा जीवा विसेसाहिया | भयदुपुं० बंधगा जीवा विसे० । O २६६. सव्वत्थोवा मणुसायु-बंधगा जीवा । णिरयायुबंधगा जीवा असंखेजगुणा । देवायुबंधगा जीवा असंखेजगुणा । तिरिक्खायुबंधगा जीवा अनंतगुणा । चदुष्णं आयुगाणं बंधगा जीवा विसेसाहिया । अबंधगा जीवा संखेञ्जगुणा | २६७, सव्वत्थोवा देवरादि-बंधगा जीवा । णिरयगदिबंधगा जीवा संखेज्जगुणा । चदुष्णं गदीणं अबंधगा जीवा अनंतगुणा | मणुसगदि-बंधगा जीवा अनंतगुणा । तिरिक्खगदिबंधगा जीवा संखेजगुणा । चदुष्णं गदीणं बंधगा जीवा विसेसाहिया | सव्वत्थोवा पंचणं जादीणं अबंधगा जीवा । पंचिदिय० - बंधगा जीवा अनंतगुणा । दुरिंदि -बंधगा जीवा संखेजगुणा । तीइंदिय-बंधगा जीवा संखेञ्जगुणा । बीइंदिय int जीवा संखेrगुणा । एइंदिय-बंधगा जीवा संखेजगुणा । पंचन्हं जादीणं बंधगा जीवा विसेसाहिया । सव्वत्थोवा आहारसरीरस्स बंधगा जीवा । वेउव्वयसरीरस्स बंधगा जीवा असंखेजगुणा | पंचण्णं सरीराणं अबंधगा जीवा अनंतगुणा | ओरालियसरीरस्स बंधगा जीवा अनंतगुणा । तेजाकम्मइग- सरीरस्स बंधगा जीवा विसेसाहिया । यथा जादिणामाणं तथा संठाणणामाणं । सव्वत्थोवा आहार० अंगोवंग० बंधगा जीवा । उव्विय- अंगो० बंधगा जीवा असंखेज्जगुणा । ओरालिय- अंगो० बंधगा जीवा अनंत बन्धक जींव इनसे अनन्तगुणे हैं । स्त्रीवेद के बन्धक जीव इनसे संख्यातगुणे हैं । हास्य, रति के बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं । अरति, शोकके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। नपुंसक वेद बन्धक जीव विशेषाधिक हैं । भय, जुगुप्साके बन्धक जीव विशेपाधिक हैं । २६६. सर्वस्तोक मनुष्यायुके बन्धक जीव हैं । नरकायुके बन्धक इनसे असंख्यातगुणे हैं। देवायुके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं । तिर्यंचायुके बन्धक जीव अनन्तगुणे हैं। चारों आयुओंके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। अबन्धक जीव संख्यातगुणे हैं २६७. देवगतिके बन्धक जीव सर्वस्तोक अर्थात् सबसे कम हैं। नरकगति के बन्धक 'जीव संख्यातगुणे हैं। चारों गतियोंके अबन्धक जीव अनन्तगुणे हैं। मनुष्यगति के बन्धक जीव अनन्तगुणे हैं । तिर्यंचगति के बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। चारों गतियों के बन्धक जीव विशेषाधिक हैं । पाँच जातियोंके अबन्धक जीव सबसे अलग हैं। पंचेन्द्रिय जातिके बन्धक जीव अनन्तगुणे हैं । चतुरिन्द्रियके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं । त्रीन्द्रियके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं । द्वीन्द्रियके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं । एकेन्द्रियके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। पाँचों जातियोंके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। आहारक शरीर के बन्धक सबसे स्तोक । वैक्रियिक शरीर के बन्धक असंख्यातगुणे हैं । पाँचों शरीरोंके अबन्धक जीव अनन्तगुणे हैं । औदारिक शरीर के बन्धक जीव अनन्तगुणे हैं । तैजस- कार्मण शरीरके बन्धक जीव - विशेषाधिक हैं ! जाति नामकर्म के अल्पबहुत्व के समान संस्थान नामकर्मका अल्पबहुत्व जानना चाहिए। आहारक अंगोपांगके बन्धक जीव सर्वस्तोक हैं । वैक्रियिक अंगोपांग के बन्धक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001388
Book TitleMahabandho Part 1
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1998
Total Pages520
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size12 MB
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