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________________ २६८ महाबंधे २७०. तत्थ ओघेण-पंचणा० छदसणा० मिच्छ० (१) सोलसक० (चदुसंज०) भयदुगुं० तेजाक० वण्ण०४ अगु० उप० णिमिणपंचंतराइगाणं बंधगा त्ति को भावो ? ओदइगो भावो । अबंधगात्ति को भावो ? उवसमिगो वा खइगो वा । थीणगिद्धितिगं बारसकसा० बंधगात्ति को भावो १ ओदइगो भावो। अबंधगात्ति को भावो ? उवसमिगो वा खइगो वा खयोवसमिगो वा। मिच्छत्त-बंधगात्ति को भावो ? ओदइगो भावो । अबंधगात्ति को भावो ? उचसमिओ वा खइगो वा खयोवसमिगो वा पारिणामिगो वा । साद-बंधगात्ति को भावो ? ओदइगो भावो । अबंधगात्ति को भावो ? - २७०. ओघसे - ५ ज्ञानावरण, ६ दर्शनावरण, मिथ्यात्व(?), १६ कषाय, (४ संज्वलन). भय, जुगुप्सा, तैजस, कार्मण, वर्ण ४, अगुरुलघु, उपघात, निर्माण और ५ अन्तरायोंके बन्धकोंके कौन भाव हैं ? औदयिक भाव हैं। विशेषार्थ-मिथ्यात्वका वर्णन आगे आया है अतः यहाँ उसका पाठ असंगत प्रतीत होता है। बारह कषायोंका वर्णन आगे किया गया है, अतः सोलह कषायके स्थानमें चार संज्वलनका पाठ सम्यक् प्रतीत होता है । अबन्धकोंके कौन भाव हैं ? औपशमिक भाव वा क्षायिकभाव हैं। विशेष-इन प्रकृतियोंका अबन्ध उपशान्त कषाय अथवा क्षीणमोहमें होगा, अतएव उपशम श्रेणीकी अपेक्षा औपशमिक और क्षपकश्रेणीकी अपेक्षा क्षायिकभाव है। स्त्यानगृद्धित्रिक, १२ कषायके बन्धकों के कौन भाव है ? औदयिक भाव है । अबन्धकोंमें कौन भाव है ? औपशमिक वा क्षायिक वा क्षायोपशमिक है । विशेष-इनके अबन्धकोंका प्रमत्तसंयत गुणस्थान होगा। वहाँको अपेक्षा तीन भाव कहे गये हैं। - मिथ्यात्वके बन्धकोंमें कौन-सा भाव है ? औदयिक है। अबन्धकोंमें कौन-सा भाव है ? औपशमिक, क्षायोपशमिक, क्षायिक या पारिणामिक । विशेष-मिथ्यात्वके अबन्धकोंमें पारिणामिकभाव सासादन गुणस्थानकी अपेक्षा कहा गया है। शंका-सासादन गुणस्थानमें अनन्तानुबन्धी चतुष्कके उदयकी अपेक्षा औदयिक भाव क्यों नहीं कहा ? समाधान-यहाँ दर्शन मोहनीयकर्म के सिवाय अन्य कर्मोके उदयकी विवक्षा नहीं की गयी है। १. "मिच्छे खलु ओदइओ विदिए पुण पारणामिओभावो। मिस्से खओवसमिओ अविरदसम्मम्हि तिणेव ॥ ११ ॥ एदे भावा णियमा दंसणमोहं पडुच्च भणिदा है। चारितं पत्थि जदो अविरदअंतेसु ठाणेसु ॥ १२॥" गो० जी० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001388
Book TitleMahabandho Part 1
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1998
Total Pages520
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size12 MB
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