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पयडिबंधाहियारो
१६१ णवरि मिच्छत्त-अबंधगा णत्थि । सण्णिमणजोगिभंगो। असण्णिधुविगाणं बंधगा सव्वजी० केव०? अणंता भागा । अबंधगा णत्थि । सेसाणं पगदीणं तिरिक्खोघं ।।
१७३. आहारगे-पंचणा० णवदंस० मिच्छत्त० सोलसक० भयदु० तेजाक० वण्ण०४ अगु० उप० णिमि० पंचंत० बंधगा सव्वजी० केव० ? असंखेजा भागा। सव्वआहारगेसु केत्र ? अणंता भागा। अबंधगा सव्वजी० केव० ? अणंतभागो। सव्वआहारगेसु केव० ? अणंतभागो । साद-बंधगा सव्वजी० केव० ? संखेजदिभागो। सव्व-आहारगेसु केव० ? संखेजदिभागो । अबंधगा सव्वजी० केव० १ संखेजा भागा। सव्वआहारगेसु केव०? संखेजा भागा। एवं असादं पडिलोमं भाणिदव्यं । दोवेदणीयबंधगा सव्वजी० केव० ? असंखेजा भागा। अबंधगा णत्थि। इत्थि० पुरिस० सादभंगो। णवूस० असादभंगो । तिण्णि वेदाणं बंधगा सबजी० केव० ? असंखेजा भागा । उवरि प्रत्येक तथा सामान्यसे वेदनीयके समान भंग है। मिथ्यादृष्टिमें'-मत्यज्ञानके समान भंग है। विशेष, यहाँ मिथ्यात्वके अबन्धक नहीं हैं।
विशेषार्थ-मिथ्यात्वी जीवोंकी संख्या सम्पूर्ण जीवराशिके अनन्त बहुभाग कही गयीहै।
संज्ञीमें-मनोयोगीके समान भंग है। असंज्ञोमें-ध्रुव प्रकृतियों के बन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहुभाग हैं । अबन्धक नहीं हैं। शेष प्रकृतियोंका तियंचोंके ओघवत् भंग हैं।
विशेषार्थ-सभी जीवराशि सम्पूर्ण जीवोंके अनन्तवें भाग है तथा असंज्ञी जीव सम्पूर्ण जीवराशिके अनन्तबहुभाग हैं।
१७३. आहारकमें-५ ज्ञानावरण, ९ दर्शनावरण, मिथ्यात्व, १६ कषाय, भय-जुगुप्सातैजस-कार्मण, वर्ण ४, अगुरुलधु, उपघात, निर्माण तथा ५ अन्तरायके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? असंख्यात बहुभाग हैं। सर्व आहारकोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहुभाग । हैं। अबन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं? सर्व आहारकोंके कितने भाग हैं । अनन्तवें भाग हैं। साताके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। सर्व आहारकोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं । अबन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यात बहुभाग हैं । सर्व आहारकोंके कितने भाग हैं ? संख्यात बहुभाग हैं । असाताके विषयमें प्रतिलोम क्रम है।।
विशेषार्थ-असाताके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यात बहुभाग हैं। सर्व आहारकोंके कितने भाग हैं ? संख्यात बहुभाग हैं । अबन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। सर्व आहारकोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं।
दो वेदनीयके बन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? असंख्यात बहुभाग हैं; अबन्धक नहीं हैं । स्त्री, पुरुषवेदमें साता वेदनीयके समान भंग है। नपुंसकवेद में असाता वेदनीयके समान भंग है। तीन वेदोंके बन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? असंख्यात बहुभाग हैं।
१. मिच्छाइट्टी सवजीवाणं केवडिओ भागो ? अणंता भागा ॥ - ७६, ८०, खु० बं० भा०। २. सण्णियाणुवादेण सण्णी सम्वजीवाणं केवडिओ भागो? अणंतभागो॥-८१, ८२। असण्णी सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? अर्णता भागा १ -८३, ८४ खु० बं० । ३. आहाराणुवादेण आहारा सबजीवाणं केवडिओ भागो? असंखेज्जा भागा। -८५-८६।
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