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महाबंधे
१८२ आयुगाणं तिरिक्खायुभंगो। तिरिक्खगदि-तिरिक्खगदिपाओ० असादभंगो । मणुसगदि-ओरालि० अंगो छससंघड० मणुसाणु० परघादुस्सा० आदाउज्जो० दोविहा० दोसर० पत्तेगेण वि साधारणेण वि सादभंगो। चद्गदि-चदुआणु० साधारणेण वेदभंगो। ओरालिय० बंधगा सव्वजी० केव० ? चदुभागो देसूणो। सव्वकोधेसु केव० ? अणंता भागा। अबंधगा सव्वजी० केव०१ अणंतभागो। सव्वकोधेसु केव० ? अणंतभागो। तिण्णिसरीराणं साधारणेण वेदभंगो । एवं माणमायावि । लोमेसुपंचणा० चदुदंसणा० पंचंतरा० बंधगा० सबजी० केव० ? चदुभागो सादिरेयो। अबंधगा णस्थि । पंचदंस० मिच्छ. सोलसक० भय दु. तेजाक० वण्ण०४ अगु० उप० णिभि० बंधगा सबजी० केव० ? चदुभागो सादिरेयो। सव्वलोभाणं केव० ? अणंता भागा। अबंधगा सबजी. केव० ? अणंतभागो । सव्वलोभाणं केव० १ अणंतभागो। सादासादं पत्तेगेण कोधभंगो। साधारणेण दोण्णं वेदणीयाणं बंधगा सव्वजी० केव० ? चदुभागो सादिरेयो । अबंधा (धगा) णस्थि । अथवा सादबंधगा सबजी० केव० ? संखेजदिभागो । सव्वलोभे केवडिओ भागो ? संखेजदिभागो। अबंधगा सव्वजी० केव० ? चदुभागो 'सादिरेयो। सव्वलोभे केव० ? संखेजदिभागो आयुओंका तिर्यंचायुके समान भंग है । तियचगति, तिथंचानुपूर्वीका असाताके समान भंग है । मनुष्यगति, औदारिक अंगोपांग, ६ संहनन, मनुष्यानुपूर्वी, परघात, उच्छ्वास, आतप, उद्योत, २ विहायोगति, दो स्वरका प्रत्येक तथा सामान्यसे साताके समान भंग है। चार गति, चार आनुपूर्वीका सामान्यसे वेदके समान भंग है । औदारिक शरीरके बन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? कुछ कम चार भाग हैं। सम्पूर्ण क्रोधियोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहुभाग हैं। अबन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं। सम्पूर्ण क्रोधियोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं। तीनों शरीरका साधारणसे वेद के समान भंग है ? मान तथा मायाकषायमें - क्रोधके समान भंग है। लोभकपायमें -५ ज्ञानावरण, ४ दर्शनावरण, ५ अन्तरायके बन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? साधिक चार' भाग हैं; अबन्धक नहीं हैं। पाँच दर्शनावरण, मिथ्यात्व, १६ कषाय, भय-जुगुप्सा, तैजस-कार्मण , वर्ण ४, अगुरुलघु, उपघात, निर्माणके बन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? साधिक चार भाग हैं । सम्पूर्ण लोभियोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहुभाग हैं। अबन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं। सर्वलोभियोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं। साता-असाताका प्रत्येकसे क्रोधके समान भंग है। सामान्यसे दोनों वेदनीयोंके बन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? साधिक चार भाग हैं ; अवन्धक नहीं हैं। अथवा साताके बन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। सर्वलोभियोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। अवन्धक सर्वजीवोंके. कितने भाग हैं ? साधिक चार भाग हैं। सर्वलोभियोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं ( ? )।
विशेष - यहाँ अबन्धक सर्वलोभियोंकी संख्या में 'संख्यात बहुभाग' उपयुक्त प्रतीत होती है।
१. लोभकसाई सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? चदुःभागो सादिरेगो । -खु० बं०,५१,५२ ।
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