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पयडिबंधाहियारो
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सादभंग । मायुबंध० सव्व० केव० ? अनंता (त) भागो। सव्वसुहुमअपज्जत्ता केव ०१ अणंतभागो | अबंध० सव्व० के० १ संखेज्जदिभागो । सव्वमुहुम- अपज्जत्ता० केव० ? अता भागा । दोअयु-तिरिक्खायुभंगो । एवं वणप्फति (दि) णियोदाणं ।
१५७ पंचिंदिया मणुसोधं । पंचिंदियपज्जत्तेसु - पंचिदिय-तिरिक्खपजत्तभंगो । वरि धुविगाणं मणुसोघं । साधारणेण दोवेदणीयबंधा सव्व० केव० ? अनंतभागो । सव्त्रपंचिदियपञ्जत्त० केव० ? असंखेजा भागा । अबंधा सव्व० के० १ अनंतभागो । सव्यपंचिंदिय-पज्जत्ता० के० ? असंखेज्जदिभागो । एवं सादभंगो इत्थि० पुरिस० इस्सर दि-तिरिक्खायु-देवायु-तिष्णिगदि-चदुजादि-ओरालि० पंचसंठा० ओरालि० अंगो० छरसंघ तिणिआणु० पत्थवि० थावरादि४ थिरादिछक्क उच्चागोदं च । असादभंगो पुंस० अरदिसोग० णिरंयगदि- पंचजा०-वेउब्वि० हुंडसंठा०-वेउच्चि० अंगो० णिरयाणु० पर० उस्सा० अप्पसत्थवि० तस०४ अथिरादिछकं णीचागोदं । णिरयमणुसायुआहारदुग० तित्थयरं बंधा सव्व० केव० ? अनंता भागा। सव्वपंचिदि
प्रकृतियोंके विषय में भी जानना चाहिए। विशेष, तिर्यंचायुका साताके समान भंग है । मनुष्यायुके बंधक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? ? अनंतवें भाग हैं। सर्वसूक्ष्म अपर्याप्तकों के कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं। अबन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। सर्वसूक्ष्म अपर्याप्तकोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहुभाग हैं। मनुष्य तिर्यंचायुका तिचायुके समान भंग हैं ।' वनस्पति कायिकों तथा निगोदों में- इसी प्रकार जानना चाहिए ।
१५७. पंचेन्द्रियोंका - मनुष्यों के ओघवत् भंग हैं। पंचेन्द्रिय पर्याप्तकों में पंचेन्द्रिय तिर्यंचपर्याप्तकों के समान भंग है । विशेष, ध्रुव प्रकृतियोंमें मनुष्योंके ओघवत् जानना चाहिए । सामान्यसे दो वेदनीयके बंधक सर्वजीवांके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं । सर्वपंचेन्द्रिय पर्याप्तकोंके कितने भाग हैं ? असंख्यात बहुभाग हैं । अबन्धक सर्वजी के कितने भाग हैं ? अनन्त भाग हैं । सर्वपंचेन्द्रिय पर्याप्तकोंके कितने भाग हैं ? असंख्यातवें भाग हैं । स्त्रीवेद, पुरुषवेद, हास्य, रति, तियंचायु, देवायु, तिर्यंच - मनुष्य - देवगति, ४ जाति, औदारिक शरीर, ५ संस्थान, औदारिक अंगोपांग, ६ संहनन, ३ आनुपूर्वी, प्रशस्तविहायोगति, स्थावरादि ४, स्थिरादि ६ और उच्चगोत्र में साताके समान भंग है । नपुंसकवेद, अरति, शोक, नरकगति, पंचजाति, वैक्रियिक शरीर, हुंडक संस्थान, वैक्रियिक अंगोपांग, नरकानुपूर्वी, परघात, उच्छ्वास, अप्रशस्तविहायोगति, त्रस ४, अस्थिरादि ६, नीचगोत्र में असाताके समान भंग है । नरक - मनुष्यायु, आहारकद्विक तथा तीर्थंकर के बन्धक सर्व जीवों के कितने भाग हैं । अनन्त बहुभाग हैं (?) ।
१. वणपदिकाइया निगोदजीवा सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? अनंता भागा ॥ - खु० बं०, २५, २६ । २. पंचिदिय-तिरिक्खा पंचिदिय-तिरिक्खपज्जत्ता पंचिदिय-तिरिक्ख-जोणिणी पंचिदिय-तिरिक्खअपज्जत्ता मणुस दीए मणुसा, मणुस पज्जत्ता, मणुसिणी मणुस-अपज्जत्ता, सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? अनंतभागो ॥ - खु० बं०, ६, ७, पृ. ४६७
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