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महाबंधे
१७२ दोण्णं दोण्णं पि पत्तगेण साधारणेण वि सादभंगो। तिरिक्खायु-सादभंगो। मणुसायुबंधगा सब० केव० ? अणंतभागो । सव्यसुहमएइंदिया० केव० ? अणंतभागो । अबंध० सव्वजी० केव० ? असंखेज्जा भा० । सव्वसुहुमेइंदि० केव० १ अणंता भागा। दोआयु० तिरिक्खायुभंगो । सुहुमएइंदिय-पञ्जत्तेसु-धुविगाणं बंधगा सब० केव० ? संखेज्जाभा० । अबंधा णस्थि । सादासादं पत्तेगेण सुहुमोघं । साधारणेण दोवेदणीया० बंध० सब० केव० ? संखेज्जा भागा । अबंधगा णत्थि । एदेण कमेण णेदव्वं ।
१५६. सुहुमअपजता० धुविगाणं बंध. सव्व० केवडि० ? संखेज्जदिभागो। अबंधगा णत्थि । सादबंधगा सव्वजी० केव० ? संखेज्जदिभागो । सव्वसुहुमएइंदियअ पज्जत्ताणं केव० ? संखेजदिभागो। अबंधगा सब० केव०१ संखेजदिभागो। सव्वसुहुमएइंदियअपज्जत्ताणं केव० ? संखेज्जभा० । असादं बंधगा सब० केव० ? संखेज्जदिभागो । सव्यसुहुमअपज्जत्ताणं केव० ? संखेज्जा भागा । अबंधगा सव्व० केव० ? संखेज्जदिभा०। सव्यसुहुमअपज्जत्ताणं केव० १ संखेज्जदिभा० । दोण्णं वेदणीयाणं बंधगा सव्व० केव०? संखेज्जदिभागो । अबंधगा णस्थि । एवं सव्याओ णादव्याओ । णवरि तिरिक्खायुछह संहनन, २ विहायोगति, २ स्वरका प्रत्येक तथा सामान्य रूपसे साताके समान भंग है। तिर्यंचायुका साताके समान भंग है। मनुष्यायुके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं। सर्व सूक्ष्म एकेन्द्रियोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं। अबन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? असंख्यात बहुभाग हैं। सर्ग सूक्ष्म एकेन्द्रिय जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहुभाग हैं । ( ? )
मनुष्य-तियचायुके बन्धकोंका तिर्यंचायुके समान अर्थात् साताके समान भंग है।
सूक्ष्म-एकेन्द्रिय-पर्याप्तकोंमें-ध्रुव प्रकृतियोंके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यातबहु भाग हैं; अंबन्धक नहीं हैं। साता असाता वेदनीयके पृथक्-पृथक् रूपसे सूक्ष्म जीवोंके ओघवत् भंग हैं। सामान्यसे दो वेदनीयके बन्धक सर्बजीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यात बहुभाग हैं । अबन्धक नहीं हैं । शेष प्रकृतियोंमें यही क्रम जानना चाहिए।
१५६. सूक्ष्म अपर्याप्तकोंमें-ध्रुव प्रकृतियोंके बन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं ; अबन्धक नहीं हैं। सातावेदनीयके बन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। सर्वसूक्ष्म-एकेन्द्रिय-अपर्याप्तकोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। अबन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं ? सासूक्ष्म-एकेन्द्रिय-अपर्याप्तकों के कितने भाग हैं ? संख्यात बहुभाग हैं।
___असाताके बन्धक सर्वजीवों के कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। सर्व सूक्ष्मअपर्याप्सकोंके कितने भाग हैं ? संख्यात बहुभाग हैं। अबन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। सर्गसूक्ष्म अपर्याप्तकोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। दोनों वेदनीयोंके बन्धक सर्वजीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं ; अबन्धक नहीं हैं। इस प्रकार सब
१. सुहमेइंदियपज्जत्ता सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? संखेज्जा भागा || -खु० ब०,सू०१७,१८ । २. सुहमेइंदिय-अपज्जत्ता सव्वजीणाणं केवडिओ भागो ? संखेज्जदिभागो। १६,२० ।
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