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महाबंधे णेरडगाणं केव० ? असंखेजा भागा। दोणं आयुगाणं बंध. केव० १ अणंतभा० । सव्वणेरइगाणं केव० ? संखेजदिभागो। अबंधगा सव्व० केव० १ अणंतभा० । सव्वणेरइगाणं केव० ? संखेज्जा भागा । एवं पढमाए पुढवीए । विदियादि याव छहित्ति णिरयोघो । णवरि आयु मणुसायुभंगो। एवं सत्तमाए । णवरि तिरिक्खगदि-तिरि. क्खाणु० णीचागोदं थीणगिद्धितिगभंगो । मणुसगदि-मणुसाणु०-उच्चागोदं मणुसायुमंगो। दोगदि-दोआणुपुषि-दोगोदा० बंधगा सव्व० केव० ? अणंतभागो। अबंधगा णस्थि ।
१४६. तिरिक्खेसु-पंचणा० छदंसणा. अट्ठक० भयदु० तेजाक० वण्ण०४ अगु० उप० णिमि० पंचंत० बंधगा सव्वजीवाणं केवडियो ? अणंताभागा । अबंधगा पत्थि । थीणगिद्धितिगं मिच्छत्त० अट्ठक० बंध. सव्व० केव० ? अणंतभागा । सव्वतिरिक्खाणं केवडि० ? अणंतभागा। अबंधगा सव्वजी० केवडि• ? अणंतभागो । सव्यतिरिक्खाणं केवडि० १ अणंतभागो। सादबंध० सव्व० केवडि० ? संखेज्जदिभागो ।
सर्व नारकियोंके कितने भाग हैं ? असंख्यात बहुभाग हैं।
दो आयु ( मनुष्य-तिर्यंचायु) के बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं । सर्व नारकियोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। अबन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं । सर्व नारकियोंके कितने भाग हैं ? संख्यात बहुभाग हैं।
इस प्रकार पहली पृथ्वीमें जानना चाहिए। दूसरी पृथ्वीसे छठी पृथ्वी पर्यन्त नारकियों के सामान्यवत् जानना चाहिए। विशेष, आयुके विषयमें मनुष्यायुके समान भंग हैं। अर्थात् बन्धक सर्व जीवोंके अनन्तवें भाग हैं। सर्व नारकियोंके असंख्यातवें भाग हैं । अबन्धक सर्व जीवोंके अनन्तवें भाग हैं। सर्व नारकियोंके असंख्यात बहुभाग हैं । सातवीं पृथ्वी में इसी प्रकार है। विशेष, तिथंचगति, तिर्यंचानुपूर्वी, नीच गोत्रके विषयमें स्त्यानगृद्धित्रिकवत् भंग है।
विशेषार्थ-बन्धक सर्व जीवोंके अनन्तवें भाग हैं। सर्व नारकियोंके असंख्यात बहुभाग हैं। अबन्धक सर्व जीवोंके अनन्तवें भाग हैं तथा सर्व नारकियोंके असंख्यातवें भाग हैं। - मनुष्यगति, मनुष्यानुपूर्वी, उच्चगोत्रका मनुष्यायुके समान भंग है। मनुष्य-तियंचगति, २ आनुपूर्वी तथा दो गोत्रके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं। अबन्धक नहीं हैं।
१४९. तिथंचगति में-५ ज्ञानावरण, ६ दर्शनावरण, (स्त्यानगृद्धित्रिक बिना) प्रत्याख्यानावरण ४ तथा संज्वलन चार रूप कषायाष्टक, भय, जुगुप्सा, तैजस, कार्माण, वर्ण ४, अगुरुलघु, उपघात, निर्माण तथा ५ अन्तरायके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहुभाग हैं ; अबन्धक नहीं हैं । स्त्यानगृद्धि ३, मिथ्यात्व, ८ कषाय (अनन्तानुबन्धी, अप्रत्याख्यानावरण ) के बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहु भाग हैं । सर्व तियंचोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहुभाग हैं। अबन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं ? सर्व तियचोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं। साता वेदनीयके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। सर्व तिर्यंचोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें
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