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पय डिबंधाहियारो
१६३ सव्यतिरिक्खाणं केवडि० ? संखेज्जदि० । अबंधगा सब० केव० ? संखेज्जा भागा । सम्वतिरिक्खाणं केवडिओ भागो ? संखेजा भागा । असादबं० सव्व० केव० ? संखेजा भागा । सव्यतिरिक्खाणं केव० ? संखेन्जा भागा। अबंधगा सव्व० केव० ? संखेजदिभागो। सव्यतिरिक्खाणं केव० ? संखेजदिभा० । दोण्णं वेदणीयाणं बंध० सव्व० केव० ? अणंता भागा । अबंधगा णस्थि । सादभंगो इत्थि० पुरिस० हस्सरदि-चदुजादिपंचस्संठा० छस्संघ० पर०उस्सा० आदावुजो० तस०४ थिरादिपंच-उच्चागोदं च । असादभंगो णपुंस० अरदिसो० एइंदि० हुंडसं० थावरादि०४ अथिरादिपंच-णीचागोदं च । सत्तणोक० पंचजादि छस्संठा० तसथावरादि-णवयुगल-दोगोदाणं बंध० सव्व० केव० ? अणंता भागा । अबंधगा णस्थि । चदुआयु-चदुगदि-दोसरी० दोअंगोल्छस्संघ० चदुआणु० दोविहा० दोसर० ओघं । णवरि गदि-सरी० आणुपु० सव्वे बंधा। अबंधगा णत्थि । पंचिंदिय-तिरिक्खेसु-पंचणा० छइंस० अट्ठक० भयदु० तेजाक० वण्ण०४ अगु० उप. णिमि० पंचंत० बंध० सव्व० केव० ? अणंतभागो। अबंधगा णत्थि । थीणगिद्धि०३ मिच्छत्त-अट्ठकसा० बंध० सव्व० केव० ? अणंतभागो । सव्वपंचिंदियतिरिक्खाणं केवडि०? असंखेजाभा०। अबंध० सव्व० केव० ? अणंतभागो। सव्वपंचिंदियतिरिक्खाणं केवडि० ? असंखेजदिभागो । सादावेद० बंध० सव्व० केव० ? भाग हैं ? अबन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यात बहुभाग हैं। सर्व तिर्यंचोंके कितने भाग हैं ? संख्यात बहुभाग हैं। असाता वेदनीयके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग है ? संख्यात बहभाग हैं। सर्व तिर्यंचोंके कितने भाग हैं ? संख्यात बहभाग है। अबन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। सर्व तिर्यंचोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। दोनों वेदनीयोंके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहुभाग हैं । अबन्धक नहीं हैं।
स्त्रीवेद, पुरुपवेद, हास्य, रति, ४ जाति, ५ संस्थान, ६ संहनन, परघात, उच्छ्वास, आतप, उद्योन, त्रस ४, स्थिरादि ५ तथा उच्चगोत्रका साता वेदनीयके समान भंग है । नपुंसकवेद, अरति, शोक, एकेन्द्रिय जाति, हुण्डकसंस्थान, स्थावरादि ४, अस्थिरादि ५ तथा नीच गोत्रका असाता वेदनीयके समान भंग है । ७ नोकषाय, ५ जाति, ६ संस्थान, त्रस-स्थावरादि ९ युगल, दो गोत्रके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहुभाग हैं। अबन्धक नहीं हैं।
चार आयु, ४ गति, औदारिक, वैक्रियिक शरीर, दो अंगोपांग, ६ संहनन, ४ आनुपूर्वी, दो विहायोगति, दो स्वरका ओघवत् भंग है । विशेष; गति, शरीर तथा आनुपूर्वी के सब बन्धक हैं । अबन्धक नहीं हैं।
___ पंचेन्द्रिय तिर्यंचोंमें-५ ज्ञानावरण, ६ दर्शनावरण, ८ कषाय, भय-जुगुप्सा, तै जसकार्मण शरीर, वर्ण ४, अगुरुलघु, उपघात, निर्माण, ५ अन्तरायके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं ; अबन्धक नहीं हैं। स्त्यानगृद्धित्रिक, मिथ्यात्व, ८ कपायके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं। सर्व पंचेन्द्रिय तियचोंके कितने भाग हैं ? असंख्यात बहुभाग है।
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