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________________ १६० महाबंधे वेउब्धिय-आहारसरी० अंगो० बंध० सन्त्र. केव० ? अगंतभागो। अबंध. सव्व० केवडि० १ अणंता भागा। तिण्णि अंगो० बंध० सव्वजीवा० केव० ? संखेज्जदिभागो । अबंध० सव्व० केव० १ संखेज्जा भा० । छस्संघ० परघादुस्सा० आदावुज्जो. दोविहा० दोसर० बंध० सव्व० केव० ? संखेज्जदिभागो। अबंध० सव्व० केव० ? संखेज्जा भागा। छस्संघ० दोविहा० दोसर० साधारणेण वि सादभंगो । तित्थयरं बंध० सव्व० केव० १ अणंतभागो । अबंधगा सव्व० केव० ? अणंता भागा। १४८. आदेसेण णेरइगेसु० पंचणा० छदसणा० पारसक० भयदु० पंचिंदि०तिण्णिसरी०-ओरालि० अंगो० वण्ण०४ अगु०४ तस०४ णिमि० पंचंत० बंध० सव्व० केव० १ अणंतभागो। अबंधगा णत्थि । सादबंध० सव्व० केव० ? अणंतभागो। सव्वणेरइगाणं केव० १ संखेज्जदिभागो । अबंध० सव्व० केव० १ अणंतभागा (१) सव्वणेरडगाणं केव० १ संज्जा भागा। असाद० सव्व० केव० ? अणं० भागो । सव्व विशेषार्थ-शंका - जब औदारिक शरीरके बन्धक सम्पूर्ण जीवोंके अनन्त बहुभाग हैं, तब औदारिक अंगोपांगके बन्धक सम्पूर्ण जीवोंके संख्यातवें भाग क्यों हैं ? समाधान - औदारिक शरीरके बन्धक अधिक हैं, तथा औदारिक अंगोपांगके बन्धक कम हैं । अंगोपांगका बन्ध केवल त्रसोंके साथ पाया जाता है तथा औदारिक शरीरका बन्ध बस-स्थावर दोनों के साथ पाया जाता है। वैक्रियिक-आहारक शरीरांगोपांगके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्तव भाग हैं। अबन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहुभाग हैं। तीनों अंगोपांगके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। अबन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यात बहुभाग हैं। छह संहनन परघात, उच्छ्वास, आतप, उद्योत, २ विहायोगति तथा २ स्वरके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। अबन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? संख्यात बहुभाग हैं। सामान्यसे छह संहनन, २ विहायोगति, २ स्वरके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? तथा अबन्धक कितने भाग हैं ? इनका सातावेदनीयके समान भंग जानना चाहिए । अर्थात् बन्धक संख्यातवें भाग हैं और अबन्धक संख्यात बहुभाग है। तीर्थकर प्रकृति के बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं । अबन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहुभाग हैं। १४८. आदेशसे-नरकगतिमें-५ ज्ञानावरण, ६ दशनावरण, १२ कषाय, भय, जुगुप्सा, पंचेन्द्रिय जाति, औदारिक-तैजस-कार्मण शरीर, औदारिक अंगोपांग, वर्ण ४, अगुरुलघु ४, त्रस ४, निर्माण, ५ अन्तरायके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्तवें भाग हैं। अबन्धक नहीं हैं। साताके बन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्त वें भाग हैं । सम्पूर्ण नारकियोंके कितने भाग हैं ? संख्यातवें भाग हैं। अबन्धक सर्व जीवोंके कितने भाग हैं ? अनन्त बहुभाग हैं ( ?) सम्पूर्ण नारकियों के कितने भाग हैं ? संख्यात बहुभाग हैं। विशेष-असाताके बन्धक सर्व जीवोंके अनन्तवें भाग कहे गये हैं, तब साताके अबन्धक भी सर्व जीवोंके अनन्तवें भाग होना चाहिए।अतः साताके अबन्धकोंमें अनन्तवें भाग पाठ उचित प्रतीत होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001388
Book TitleMahabandho Part 1
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1998
Total Pages520
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size12 MB
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