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महाबंधे
आयुचदुकणिरयंगादेदुगं आहारदुगं च णत्थि । सेसं ओघभँगो ।
१००. अवगदवेदे याओ पगदी [ओ] बज्झति ताओ पगदीओ जाणिदूण भाणिदव्वाओ । मदि० सुद० विभंग० अब्भव० मिच्छादि० असण्णि० तिरिक्खोघो । आभिणि० सुद० ओधि० ओघभंगो। णवरि मिच्छत्त सासण-पगदीओ णत्थि । एवं अधिदं० सम्मा० खइय० । एवं चैव मणपजव-संजद० सामाइ० छेदो० परिहार० । वर असं दपगदीओ णत्थि । अकसा० केवलणा० यथाखाद० केवलदंस० सण्णियासो णत्थि । सुमसं० पंचणा० चदुदंस० पंचंतराइगाण मण्णमण्णस्स बंधदि ।
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१०१. संजदासंजदा संजदभंगो। णवरि आहारदुगं णत्थि । पच्चक्खाणा०४ अत्थि । असंजदेसु ओघभंगो । णवरि आहारदुगं णत्थि ।
विशेषार्थ - आहारकद्विकका बन्ध अप्रमत्त दशा में होता है और यह योग प्रमत्तसंयत स्थान होता है। अतः आहारकद्विकके बन्धका यहाँ अभाव कहा गया है।
कार्मणाकाययोगमें- आयु ४ तथा नरकगति, नरकगत्यानुपूर्वीका अभाव है । शेषका ओघवत् भंग जानना चाहिए ।
१००. अपगत वेद में – जिन प्रकृतियोंका बन्ध होता है, उनको जानकर वर्णन करना
चाहिए ।
विशेष-४ संज्वलन, ५ ज्ञानावरण, ५ अन्तराय, ४ दर्शनावरण, यशः कीर्ति, उच्चगोत्र तथा सातावेदनीय इन २१ प्रकृतियोंका यहाँ बन्ध होता है ।
मृत्यज्ञान, श्रुताज्ञान, विभंगावधि, अभव्यसिद्धिक, मिध्यादृष्टि, असंज्ञीका तिर्यंचोंके ओघवत् है । आभिनिबोधिक, श्रुत तथा अवधिज्ञानमें ओघवत् भंग है । विशेष - यहाँ मिथ्यात्वसम्बन्धी १६ और सासादनसम्बन्धी २५ प्रकृतियोंका अभाव है ।
इसी प्रकार अवधिदर्शन, सम्यक्त्व, क्षायिक सम्यक्त्वमें जानना चाहिए । मन:पर्ययज्ञान, संयत, सामायिक, छेदोपस्थापना और परिहारविशुद्धि में भी इसी प्रकार जानना चाहिए। विशेष, यहाँ असंयमगुणस्थानवाली प्रकृतियाँ नहीं हैं ।
अकषाय, केवलज्ञान, यथाख्यातसंयम, केवल दर्शनमें सन्निकर्ष नहीं है ।
विशेष + इन मार्गणाओंमें एक सातावेदनीयका ही बन्ध होता है । इस कारण यहाँ सन्निकर्षका वर्णन नहीं किया गया है। एक प्रकृति में सन्निकर्ष नहीं हो सकता है । किसका किसके साथ सन्निकर्ष कहा जायेगा ? अतः सन्निकर्ष नहीं बताया है ।
सूक्ष्मसाम्परायमें-५ ज्ञानावरण, ४ दर्शनावरण ( निद्रापंचकरहित ) तथा ५ अन्तरायोंका एकके रहते हुए शेष अन्यका बन्ध होता है ।
विशेष - यद्यपि सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थान में सातावेदनीय, उच्चगोत्र तथा यशः कीर्तिका भी बन्ध होता है, किन्तु ये वेदनीय, गोत्र तथा नामकर्मकी अकेली ही प्रकृतियाँ हैं; इस कारण स्वस्थानसन्निकर्षकी दृष्टिसे इनका ग्रहण नहीं किया गया है।
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