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पयडिबंधाहियारो अबंधा । थीणगिद्धितिगं अणंताणुबंधि०४-इत्थिवे० -तिरिक्खायु०-तिरिक्खग०-चदुसंठा०-चदुसंघा०-तिरिक्खगदिपा० उज्जो० अप्पसत्थवि० दूभग-दुस्सर-अणादेजणीचागोदा० को बंधो, को अबंधो ? मिच्छादि० सासणसम्मादिठिबंधा। एदे बंधा, अवसेसा अबंधा। णिद्दापयलाणं को बंधगो, को अबंधो ? मिच्छादि
ठिपहुदि याव अपुवकरणपविठ्ठ-सुद्धिसंजदेसु उवसमा खवा बंधा । अपुव्वकरणद्धाए संखेज्जदिभागं गंतण बंधो वोच्छिज्जदि । एदे बंधा अवसेसा अबंधा। सादावेद० को बंधो, को अबंधो ? मिच्छादिठिप्पभुदिं (हुडि) याव सयोगकेवली बंधा सजोगकेवलिअद्धाए चरिमसमयं गंतूण बंधो वोच्छिज्जदि एदे बधा, अवसेसा अबधा । असादावेद०-अरदि-सोग-अथिर-असुभ-अजसगित्ति को बं को अब ? मिच्छादिठि पभुदि ( हुडि ) याव अपमत्त (पमत्त ) संजदा त्ति बंधा। एदे बंधा अवसेसा अबधा । मिच्छत्त-णपुसंक०वेद-णिरयायु०-णिरयगदि-चदुजादि हुंडसंठाण-असंपत्तसेवट्टसंघ०-णिरयगदिपाओग्गाणुपु०-आदाव-थावर-सुहुम-अपज्जत्त - साधारण० को बधो, को अब ? मिच्छादिट्ठी बंधा अवसेसा अबं० । अपञ्चक्खाणावर० ४-मणुसगदि-ओरालियसरी०-ओरालि०-अंगो०-वज्जरिसभसंघ० - मणुसगदिपाओ० को बंधको० अब ? मिच्छादिहिपभुदि याव असंजद० बधा। एदे ब० अवसेसा अब ।
जाती है । इसलिए आदिके १० गुणस्थानवाले जीव बन्धक हैं; शेप अबन्धक हैं।
स्त्यानगृद्धित्रिक, अनन्तानुवन्धी ४, स्त्रीवेद, तिथंचायु, तिथंचगति, ४ संस्थान, ४ संहनन, तियेचगतिप्रायोग्यानुपूर्वी, उद्योत, अप्रशस्तविहायोगति, दुर्भग, दुस्वर, अनादेय तथा नीच गोत्रके बन्धक-अबन्धक कौन हैं ? मिथ्यादृष्टिसे सासादन सम्यक्त्वीपर्यन्त बन्धक हैं । ये बन्धक हैं, शेष अबन्धक हैं।
निद्रा-प्रचलाका कौन बन्धक है, - कौन अबन्धक है ? मिथ्यादृष्टिसे लेकर अपूर्वकरणप्रविष्ट शुद्धिसंयतोंमें उपशमकों तथा क्षपकोंपर्यन्त बन्धक हैं। अपूर्वकरणके कालमें संख्यातवें भाग बीतनेपर बन्धकी व्युच्छित्ति होती है । ये बन्धक हैं, शेष अबन्धक हैं।
सातावेदनीयका कौन बन्धक-अबन्धक है ? मिथ्यादृष्टिसे लेकर सयोगकेवलीपर्यन्त बन्धक हैं। सयोगकेवलीके कालके अन्तिम समय व्यतीत होनेपर बन्धकी व्युच्छित्ति होती है। ये बन्धक हैं; शेष अबन्धक हैं। ___असातावेदनीय, अरति, शोक, अस्थिर, अशुभ, अयशस्कीर्ति के कौन बन्धक हैं ? कौन अबन्धक हैं ? मिथ्यादृष्ट्रिसे लेकर प्रमत्तसंयतपर्यन्त बन्धक हैं। ये बन्धक हैं, शेष अबन्धक हैं।
मिथ्यात्व, नपुंसकवेद, नरकायु, नरकगति, ४ जाति, हुण्डकसंस्थान, असम्प्राप्तामृपाटिक संहनन, नरकगतिप्रायोग्यानुपूर्वी, आताप, स्थावर, सूक्ष्म, अपर्याप्त तथा साधारणका कौन बन्धक, कौन अवन्धक है ? मिथ्यादृष्टि बन्धक है। शेष अबन्धक हैं।
अप्रत्याख्यानावरण ४, मनुष्यगति, औदारिक शरीर, औदारिक आंगोपांग, वनवृषभनाराच संहनन, मनुष्यगतिप्रायोग्यानुपूर्वीका कौन बन्धक है ? कौन अबन्धक है ? मिथ्याइटिसे लेकर असंयत सम्यक्त्वपर्यन्त बन्धक हैं। शेष अबन्धक हैं।
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