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________________ १६६ १६७ २०१ १५६ १६३ २११ विषय-सूची १२१ आदेश की अपेक्षा नरकगति १४. परिमाणानुगम-प्ररूपणा के बन्धक १५० ओघ से वर्णन १६४ तिर्यंचों में बन्धक १५१ आदेश से नरक-तिर्यंचगति में बन्धक १६५ मनुष्यत्रिक में बन्धक मनुष्यों में बन्धक मनुष्यलब्ध्यपर्याप्तकों में बन्धक १५२ ओघ से देवगति में बन्धक देवों में बन्धक ९५३ त्रसपर्याप्तकों में बन्धक १९८ काययोगों में बन्धक १५३ योगों में बन्धक ૧૬૬ क्षायिक, वेदक, उपशम सम्यक्त्व में स्त्रीवेद में बन्धक बन्धक मति-श्रुत-अवधिज्ञान में बन्धक अनाहारकों में बन्धक २०२ १५७ छहों लेश्याओं में बन्धक २०३ १३. भागाभागानुगम-प्ररूपणा ओघ से वर्णन सम्यग्दृष्टियों में बन्धक २०४ १५८ आदेश से साता-असाता के बन्धक १६० १५. क्षेत्रानुगम-प्ररूपणा मनुष्य तथा तिर्यंचगति के बन्धक ओघ से बन्धक १६२ २०६ पंचेन्द्रिय तिर्यंचों में बन्धक साता-असाता के बन्धक २०६ मनुष्य-देव-नरकायु के बन्धक १६४ काययोगों के बन्धक २०६ पंचेन्द्रिय तिर्यंच लब्धि पर्याप्तक आदेश से नारकियों में बन्धक २१० अपर्याप्तकों में बन्धक १६६ तिर्यंचों में बन्धक मनष्यलब्ध्यर्याप्त-पर्याप्तकों में बन्धक १६७ मनुष्यत्रिकों में बन्धक २१२ ओघ से देवगति में बन्धक १६८ एकेन्द्रियों में बन्धक २१४ एकेन्द्रियों में बन्धक १७० १६. स्पर्शनानुगम-प्ररूपणा सूक्ष्म अपर्याप्तकों में बन्धक १७२ ओघ से बन्धकों का क्षेत्र-स्पर्शन २१७ पंचेन्द्रियों में बन्धक १७३ मिथ्यात्व तथा अप्रत्याख्यानावरण त्रसों में बन्धक १७४ के बन्धकों का सर्वलोक-स्पर्शन २१६ योगों में बन्धक १७५ तीनों वेदों तथा चारों आयु के काययोगों में बन्धक बन्धकों का क्षेत्र-स्पर्शन २२० वेदों में बन्धक १७६ आदेश से नारकियों में बन्धकों का क्रोधकषाय में बन्धक १८० क्षेत्र-स्पर्शन २२१ साता-असाता के बन्धक १८३ तिर्यंचगति के बन्धकों का क्षेत्रमति-श्रुत-अवधि-मनःपर्ययज्ञान स्पर्शन २२२ __ में बन्धक १८४ छहों संहननों के बन्धकों का क्षेत्रपरिहारविशुद्धि, सूक्ष्मसाम्पराय, स्पर्शन __ यथाख्यातसंयम में बन्धक १८५ छहों लेश्याओं में बन्धक पंचेन्द्रिय-तिर्यंच-लब्ध्यपर्याप्तकों में क्षायिक सम्यग्दृष्टियों में बन्धक बन्धकों का क्षेत्र-स्पर्शन २२६ १८६ वेदक-उपशम-सासादन सम्यक्त्व में लबध्यपर्याप्तक मनुष्यों में बन्धक १६० बन्धकों का क्षेत्र-स्पर्शन २३० सम्यक्त्वमिथ्यात्वी में ध्रुव प्रकृतियों देवों में बन्धकों का क्षेत्र-स्पर्शन २३३ के बन्धक १६० एकेन्द्रियों में बन्धकों का क्षेत्र-स्पर्शन २३६ आहारक-अनाहारकों में साता पंचेन्द्रिय पर्याप्तकों में बन्धकों का असाता के बन्धक ૧૬૧ क्षेत्र-स्पर्शन २३८ १७६ २२५ १८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001388
Book TitleMahabandho Part 1
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1998
Total Pages520
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size12 MB
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