SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 121
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महाबन्ध ११४ ११६ ११६ ११७ ११८ ११६ १२० १२१ १२३ १२४ ६६ १२५ ૧૦૧ १२७ १२८ १२८ १२६ १३१ प्रत्याख्यानावरणी-अप्रत्याख्यानावरणी रूप आठ कषायों का बन्ध-काल ८० अप्रमत्तसंयत का उत्कृष्ट अन्तर ८१ नारकियों में आदेश से बद्धयमान प्रकृतियों में अन्तर तिर्यंचों में बन्ध का अन्तर देवों में बन्ध का अन्सर एकेन्द्रियों में बन्ध का अन्तर विकलत्रयों में बन्ध का अन्तर पंचेन्द्रिय, त्रसकाय तथा उनके पर्याप्तकों में अन्तर योगों तथा काययोगों का अन्तर-काल वेदों का अन्तरकाल ज्ञानावरणादि का अन्तर नहीं अज्ञानी जीवों का उत्कृष्ट अन्तर ૧૦૨ मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान तथा मनःपर्ययज्ञान में अन्तर १०३ चक्षुदर्शनी तथा अचक्षुदर्शनी का अन्तर १०५ छहों लेश्या वाले जीवों में अन्तर १०६ क्षायिक सम्यक्त्व तथा वेदक सम्यक्त्व में अन्तर १०८ उपशम सम्यक्त्वी में अन्तर १०६ आहारक तथा अनाहारकों में अन्तर ११० १०. स्वस्थानसन्निकर्ष-प्ररूपणा ज्ञानावरण की प्रकृति का बन्धक नियमतः चारों का बन्धक १११ निद्रानिद्रा का बन्धक नियम से . __दर्शनावरण का बन्धक अनन्तानुबन्धी क्रोध के बन्धक के मिथ्यात्व का बन्ध होने का नियम नहीं अप्रत्याख्यानावरण-प्रत्याख्यानावरण तथा संज्वलन क्रोध के बन्धक के मिथ्यात्व का बन्ध होने का नियम नहीं ११३ संज्वलन क्रोध का बन्धक मान, माया, लोभ रूप संज्वलन का नियम से बन्धक नोकषायादि का बन्धक मिथ्यात्व __ का स्यात् बन्धक है नरकत्रिक का बन्धक तिर्यंचगति का बन्धक मनुष्यगति का, देवगति का बन्धक एकेन्द्रिय, दोइन्द्रिय, पंचेन्द्रिय जाति नामकर्म का बन्धक औदारिक, वैक्रियिक शरीर का बन्धक तैजस शरीर का बन्धक छह संहननों के बन्धक, अबन्धक परघात के बन्धक आताप और उद्योत के बन्धक बादर-सूक्ष्म के बन्धक स्थिर के बन्धक गोत्र, अन्तराय के बन्धक आदेश से चारों गतियों के बन्धक काययोगों में बन्धक संयतासंयत, वेदक-उपशम सासादन सम्यक्त्व में बन्धक ११. परस्थानसन्निकर्ष-प्ररूपणा ओघ से आभिनिबोधिक ज्ञानावरण के बन्धक निद्रा, निद्रा-निद्रा के बन्धक साता-असाता के बन्धक नोकषायों के बन्धक मिथ्यात्व के बन्धक अप्रत्याख्यानावरण-प्रत्याख्यानावरण___ संज्वलन क्रोध के बन्धक वेदों के बन्धक हास्य, रति, भय के बन्धक चारों गतियों के बन्धक आहारकादि शरीरों के बन्धक संस्थान एवं संहननादि के बन्धक उद्योत के बन्धक तीर्थंकर तथा उच्चगोत्र के बन्धक काययोगों के बन्धक लेश्याओं में बन्धक १२. मंगविचयानुगम-प्ररूपणा ओघ से नाना जीवों की अपेक्षा साता के बन्धक १३२ १३३ १३४ १३४ १३५ १३६ १३७ १११ ११२ १३६ १४० १४४ १४४ १४५ १४६ १४७ १४८ ११४ १४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001388
Book TitleMahabandho Part 1
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1998
Total Pages520
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy