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एवं पर्यापमाणो सीह नरिंदो पुराओ नीहरिउं“ । वारंतस्स वि लोयस्स तावसासममिमो पत्तो ||३१|| तावस-वयं पवन्नो तत्तो सिरि- विजयसेण-राएण । महया विच्छड्डेणं तत्थेव य भद्दसाल-वणे ||३२|| तम्मिय पासा - तले विवाहिया सीह - पत्थिव- कयाए तीए सामग्गीए सुदंसणा रायधूया सा || ३२१|| तओ
महंत-मंति-सामंत- मंडलिय- लोय-परिगओ, गय-कंधराधिरूढो", धरिय-धवलायवत्तो, धुव्वंत-चंद - चारुचामरुप्पीलो, पए पए कीरताणेग - मंगलो मागह-समूह-पढिज्जमाणो, मणिचूडेण सुदंसणादेवीए य समं पविट्ठो रायभवणं । निसन्नो पसरंत कंति - कडप्पकप्पियाणप्प - सक्कचाव-चक्कवाले, अप्पमाण- माणिक्क - चक्क - चिंचईए कणय - सिंहासणे, अहिसित्तो समत्त मंति- सामंतेहिं । पणमिओ पहाणरायलीएण । कयाइं मंगलाई, पणच्चियाओ चारु चामीयर - कडयके ऊर- थंभिय-भुयाओ पल्लविय -लोय - लोयणब्भुयाओं पणंगणाचक्क - चूडामणीओ रमणीओ । रन्ना वि जोग्गयाणुसारेण सम्माणिओ महग्घ-वत्थालंकार- तंबोलप्पयाणाईहिं पणइ लोओ । उचिय- समए य विसज्जिऊण मंति- सामंत-सिद्धि - सेणावइ - पमुह " - पहाण- पणइ-वग्गं, समुहिऊण कयं देव-गुरु-पाय-पंकय-पूया-पुरस्सरं सरस- रसवईए भोयणं । तदवसाणे ठिओ राया रयण- पल्लंके, निसन्नो सन्निहि-निहित्तकणयमयासणम्मि मणिचूडो, सुदंसणा देवी वि पायंत-निसह-विसिहविहर- निविद्या पुट्ठा पहिठ- परिपुट्ठ-कंठ - कोमल - गिराए रन्ना'देवि ! कहसु केण तुमं अवहरिया ? | कहं वा तुमए मइंद- मायंग-कुलसंकुला अडवी नित्थिन्न ? त्ति । तओ—
सिरिसोमप्पहसूरि - विरइयं
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केण वि अलक्खिणं पक्खित्ता जह वणे समुक्खिविउं । जह तत्थ चारण- मुणी पलोइओ परिभमंतीए ॥ ३२२|| धम्मोवएस - संगय-गिराहिं अणुसासिऊण जह तेण । पंचपरमेहि- मंतस्स संसियं पवर- माहप्पं ॥ ३२३|| सो वि परमेहि-मंतो जह गहिओ तस्स सुमरण-वसेण । जह लंघिया लहुं चिय सीहाइ उवद्दवा सव्वे || ३२४ ||
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