________________
५११
सुमइनाह-चरियं
तत्तो य जंति नंदीसरम्मि दीवे सुरासुरा सव्वे | सासय-जिणभवणेसुं कुणंति अढ़ाहिया-महिमं ॥३६७।। अह चित्तम्मि धरंता टंकुक्किन्नं व सुमइ-जिणनाहं । निय-निय-परिवारजुया निय-निय-ठाणेसु वच्चंति ||३६७१।। कुमरते दसलक्खा पुव्वाणं सुमइ-सामिणा गमिया । एगूणतीस लक्खा रज्जम्मि दुवालसंगजुया ||३६७२|| एगं च पुव्वलक्खं कयं चरित्तं दुवालसंगूणं । चालीस पुव्वलक्खा सव्वाओ भयवओ एवं ॥३६७३।। अभिनंदण-निव्वाणाउ सुमइनाहस्स निव्वुई जाया । इह सागरोवमाणं गएसु नवकोडि-लक्खेसु ॥३६७४|| अह सामि-विरह-विहुरिय-चित्तस्स चउन्विहस्स संघस्स । चमरो पढम-गणहरो एवं अणुसासणं कुणइ ॥३६७५।। कम्म-नियलाई छित्तूण भीम-भव-चारयाओ निक्खंतो । संपत्तो जत्थ पहू सासयमाणंदमय-सोक्खं ॥३६७६।। तम्मि पहु-परम-पय-गमण-वासरे गख्य-मंगलप्पसरे । पडिहय-सोयावसरे किं न पमोयं मणे कुणह ||३६७७।। तत्तो पुच्छइ संघो- परम-पए केरिसं सुहं भयवं ? | चमरो पयंपए- सुणह इत्थ अत्थम्मि दिहतो ||३६७८।। को वि नरिंदो निय-पट्टणाओ विवरीय-सिक्ख-तुरएण । . अडवीए पक्खित्तो खुहा-तिसा-पीडिओ संतो ||३६७१।। पायव-तलम्मि पडिओ केणावि पुलिंदएण करुणाए । विहिओ पउणसरीरो वर-सलिल-फलप्पयाणेण ॥३६८०।। मिलियम्मि नियय-सेल्ने नेइ कयन्नु त्ति तं निवो नयरे । ठावइ मणिपासाए परिहावइ पट्टवत्थाई ॥३६८१।। वर-मोयग-पमुहेहिं दिव्वाहारेहिं पीणइ पुलिंदं ।। तह वि न सो लहइ रई निय-जम्मसुवं सुमरमाणो ||३६८२।। मुणिऊण इमं रन्ना विसज्जिओ सो नियं गओ अडविं । मिलिओ सयणाण इमेहिं पुच्छिओ- कत्थ पत्तो सि ?' ||३६८३।।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org