________________
सुमहनाह - चरियं
अह जंबुद्दीव-भरहे नयरी नामेण अत्थि मायंदी | मायंद-पमुह - पायव-सोहिय सव्वोउय-धड्ढा ||२८११ || सरयब्भ-विब्भमादब्भ- भवण-पंतिप्पहा - समूहेण । निय - रिद्धीए जा सुरपुरं पि रेहइ हसंति व्व ||२८२०|| तत्थऽअस्थि पवर- सेट्ठी विसिद्ध-निय - विहव- हसिय- वेसमणो । समण-पय-पज्जुवासण विहिय-मणो माणिभद्दो त्ति ||२८२१|| तस्स घरिणीए दक्खिवन्न-दाण- विणयाइ - गुण-कलावेण । भुवणम्मि लद्ध - निम्मल-जसाइ सुजसाइ गब्भम्मि ||२८२२|| सोहम्माओ चविउं केसव-जीवो सुओ समुप्पन्नो । जाए वद्धावणयं विहियं रिद्धिप्पबंधेण || २८२३||
अह वडिउमादत्तो कुबेरदत्तो त्ति विहिय - नामो सो । चंदो व्व सयल - जियलोय लोयणाणं कयाणंदी ||२८२४॥ समए समप्पिओ सो कलोवज्झायस्स तो कलग्गहणं । थेव - दियहेहिं तेणं विहियं अह जोव्वणं पत्तो ||२८२५ || एत्तो य कविल-जीवो नरगाओव्वहिउं भरहवासे । वासवपुरग्गलाए कयंगलाए वर पुरीए || २८२६ || धणसार-धणसिरीणं वर-धूया देविल त्ति संजाया । जोव्वणभरम्मि पत्ता कुबेरदत्तेण परिणीया ||२८२७|| पुव्वभवब्भासेणं अत्थि मई तीए कुबेरदत्तस्स ।
-
जह देविलाए उवरि कुबेरदत्ते न तह तीए ||२८२८||
४१३
-
अन्नया पिउ-घरे चिडंतीए देविलाए आणयण-निमित्तं कयंगलाए गओ कइवय - पुरिस-सहाओ कुबेरदत्तो । कय-सक्कारो ठिओ तत्थ कइवय - दिणाणि नाणाविह विणोएहिं । आनंदिओ गुण-कलावेण ससुर-वग्गो, नवरं दूमिया मणम्मि देविला । पत्थिओ पसत्थ- दियहे कुबेरदत्तो सनयरं । न गंतुमिच्छए देविला । भणिया अम्मा-पिऊहिंवच्छ ! धन्ना तुमं जीए उदग्ग-सोहग्ग- गुणनिही सयल-कलाकोसल्ल- कोसो वल्लहो लदो ता कीस विसायमुव्वहसि ? | वच्च भत्तुणा समं ससुरहरं, तत्थ गयाए य तुमए कायव्वा गुरुयणस्स सुस्सूसा, न लंघियव्वा सव्वत्थ उचिय- पडिवत्ती, मोत्तव्वा कुसील
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org