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________________ सुमइनाह-चरियं ३८९ रन्ना भणियं - मए एगो चोरो खयरो व्व सुहुम-खंडीकओ, न य दिट्ठो तत्थ कोइ भूय- वइरित्तो जीवो । गुरुणा वृत्तं - केणावि अरणि कडं खंडीकयं, न दिट्ठो तत्थ अग्गी । अवरेण महणप्पओगेण उडविओ । जइ मुत्ता वि पयत्था संता वि न दीसंति, ता अमुत्तस्स जीवस्स अदंसणे को विरोहो ? | रन्ना भणियं - एगो चोरो मए जीवंतओ चेव लोह-मंजूसाए पक्खित्तो । ढक्कियं मंजूसा, जउसारिया पयत्तेण । अइक्कंतो कोइ कालो जाव सो तत्थेव विवन्नो, किमिपुंजो जाओ, तत्थ देहे चेव विणो । जइ पुण कोइ जीवो घड-वडग - -तुल्लो तओ निग्गओ पविट्ठो वा होज्ज, तओ लोह - मंजूसाए तदणुरूवं छिडं हवेज्ज' । न य तं दिहं । ता नज्जइ न भूय- वइरित्तो जीवो । गुरुणा वृत्तं - एगम्मि नयरे कोइ संखिगो संखं धमेइ । तस्स एरिसो विन्नाणाइसओ जेण अगोयरगयाणं कन्ने चिय धमेइ । अन्नया रन्नो वच्चहरकाले धमिओ संखो ! कन्ने चिय धमेइ त्ति आसंकाए वच्चनिरोहेण रुद्धो सो राया । वज्झो सो आणत्तो । तेण भणियं देव ! दूरे धमेमि, परं कन्नमूले चिय पडिहाइ । विसिद्धा खलु मे लद्धी अत्थि । जइ न पच्चओ ता विन्नासेउ देवो । तओ रन्ना खित्तो कुंभीए संखिगो, ढक्किऊण जउसारिया एसा । पच्छा धमाविओ, सुओ संख सद्दो सव्वेहिं । निरुविया कुंभी, न दिहं निग्गमण छिड्डुं । तहा लोह - पिंडे धमिए केण छिड्डेण अग्गी पविट्ठो जेण सो अग्गिवन्नो जाओ ? । एवमिहावि सद्दाओ अग्गीओ य सुहुमस्स जीवस्स निग्गमे पवेसे वा न विरोहो । रन्ना भणियं - अन्नो चोरो वावायण-काले तोलिओ, पच्छा गलकरमोडणेण वावाईओ । पुणो वि तहेव तोलिओ । जाव जत्तिओ पुव्वं तत्तिओ पच्छा वि, अओ नज्जइ न तत्थ घडचडगोवमो कोइ गओ त्ति । गुरुणा वृत्तं- एगेण गोवालेण कोउगेण एगो दिइपुडो वायस्स भरिऊण तोलाविओ, पच्छा विरिक्को पुणो वि तोलाविओ, जाव जत्तिओ विरिक्को वि तेत्तिओ । जइ फासिंदिय - गब्भत्तणेण मुत्तस्स पवणस्स सब्भावो सब्भावेसु न तोल्ल-विसेसो ता अमुत्तस्स जीवस्स तुल्लविसेस - विरहे को विरोहो ? । तम्हा सव्व पाणिणं सरीराइरित्तो ससंवेयणाणुभव - पच्चक्खो चेयन्नरूवो गमणाइ चिट्ठा - लिंगो पवणी For Private & Personal Use Only Jain Education International -- www.jainelibrary.org
SR No.001386
Book TitleSumainahchariyam
Original Sutra AuthorSomprabhacharya
AuthorRamniklal M Shah, Nagin J Shah
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages540
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size8 MB
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