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सुमइनाह-चरियं
[२. सत्ये कुलाल कथा]
इह जंबुद्दीव-भरहम्मि अंग जणवय-वयंस- संकासा । परचक्क-अकय-कंपा चंपा नामेण अत्थि पुरी ||२३०५ || भावि सिरि-वासुपुज्जुप्पत्तिं नाउं व जत्थ भीएहिं । नं कयं कयावि दुब्भिवख-मारि - डमराईएहिं पयं ||२३०६ || तत्थ य राया अरिराय - चंपओ रायचंपओ नाम । छज्जइ भुय - खंभे जस्स जयसिरी सालभंजि व्व ||२३०७ || सोहग्ग-हत्थिसाला दुत्थिय-जण- दुक्ख - रुख - दवजाला । ससि - विमल-गुण-विसाला चंपयमाला पिया तस्स ||२३०८ कन्ना पंकयनयणा ससिवयणा ताण कुंदसम - रयणा । वित्थरिय - विषय - रयणा वर गुण रयणा रयणमाला || २३०९।।
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तीए "लायन्न - तरंगिणीए विलसंत- नयण - कमलाए । कीलइ मयणो तिहुयण- विजय- परिस्सम-पसमणत्थं ||२३१०|| तीए य सयल - कला - कोसल्ल- कोस-तुल्लाए विसेसओ कव्वविणोय- पत्त- पगरिसाए चिंतियं
अवियड-पई पोढंगणाण गुणियाण निग्गुणो सामी । चाईण य दालिद्दं तिन्नि वि गुरुयाइं दुक्खा ||२३११||
ता जो कव्व - विणोएण मे मणं हरिस्सइ सो मए परिणेयव्वो ति कया पइन्ना । विन्नाय - वृत्तंतेण पिउणा कओ सयंवर मंडवो । आगया कलाकलाव - कुसला बहवे रायपुत्ता, निसन्ना सयंवर मंडवे । निविट्ठो
या सहा- नायगी । ठिया पहाण-बुहा । संपत्ता कंति - कडप्पेण पयासयंती सयल - दिसाओ रयणमाल व्व रयणमाला । निविट्ठा पिउपायवीढे । पढिया तीए गूढ - चउत्थ- पाया गाहा जहा
जं कय-भुवणाणंद समुद्द - महणम्मि देव - विंदम्म | अमयमुल्लसियं तं [वल्लह - मुह- दंसणं अमयं] ||२३११|| जाण मुद्धमयं ।
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एवं पढिऊण भणिया रायपुत्ता- लहेह चउत्थ- पायं । ते वि य नियमइ - विहवाणुरुवं परिभाविउं पवत्ता । कोसंबी - सामिणो विजयवम्मुणो
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