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सिरिसोमप्पहसूरि-विरइयं कुमरु वदृइ ससि व सिय-पक्खि ।
संपत्त-संपुन-कलु कमिण तारु तारण्णु पावइ । अह तरस असरिस भणिवि ।
रायकन्न न वरेइ नरवइ । जं वच्छरु छण-वंचणिण पाव-पसंगिण धम्मु । नासइ दियहु कुभोयणिण कुकलत्तिण पुण जम्मु ||१६||१६७१।। एउ निसुणइ धूय वासवह वेसालिपुरि-सामियह ।
कामकित्ति-नामेण मणहरा तो निय-पिउ विन्नवइ ।
पहवेसु तसु मई सयंवर | तिण पहविय पयट्ट पहि, सुय निग्गयसुहिएण । सोयासंघिय-पेम्मगुण भणि हरिसिउ हियएण ||१७||१६८०।। संभरायण तीइ पट्टविउ ।
वर-विप्पु जाइवि पुरउ | राउ तेण विन्नत्तु सायरु ।
जं सामि सरियाइ न हु अन्नु ठाणु मिल्लेवि सायरु । इय चिंतेविणु अणुचिय वि एइ सयंवर एस । पइं कायव्वु न खेउ फुडु बहुखम हुति नरेस ||१८||१६८१|| संभरायण-वयण-विनास-परितुहइ ।
नरवइ भणइ उचिय चेव सायरह सुरसरि । को एत्थ खेउ त्ति मणु मुणिवि
निवहं संपत्त पुरवरि । सा परिणीया मणह पिय पिउ-वयणिण कुमरेण | गुरु-उवइहु मणिहु तह गिण्हइ को न खणेण ? ||११||१६८२|| तह परोप्पर-जाय-वीसंभ-संभोय-सुहलालसह जंति दियह । अह सुणिवि दुज्जउ रणसूरु नामिण निवइ वलिउ
कुमरु तज्जय-समुज्जउ । कुमरिण रणि सो निग्गहिउ कोहु व पसम-गुणेण । तुहु तिविक्कमु विक्कमेण निग्गयसुहियह तेण ।।२०।।१६८३।।
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