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________________ ૨૩૧ सुमइनाह-चरियं ति-धणुस्सय-तुंग-तणू पीणक्खंधो पलंब-भुयसाहो । सोहइ भुवण-वणम्मि जंगमो कप्परक्खो व्व ||१४५७।। हिययाओ निच्छूढो तत्थ पवेसं पुणो वि पत्थंतो । रागो सेवं कुणइ व्व सामिणो चलण-तल-लग्गो ।।१४५८।। दस-दिस-पसरिय-मोहंधयार-हरणुज्जयरस जय-पहुणो । उम्मुह-पहा पय-नहा दिप्पंति दसप्पईव व्व ||१४५१।। दसविह-जइधम्म-सिरीण विब्भमायंस-विब्भमा पहुणो । अरुणंगुलि-विद्दुम-हत्थएसु रेहति चलण-नहा ।।१४६०।। अइ-दुद्धरमुद्धरियं जइ-सावय-धम्म-धर-दुगं पहुणो । अवइल्ला करुणाए कुम्म व्व समुण्णया चलणा ||१४६१|| सामिस्स ऊरुदंडा रसणा-मणि-किरण-तोरण-सणाहा | सिद्धि-नयरी-दुवारे रंभा-खंभ व्व रेहति ।।१४६२।। रेहइ पहुणो नाही कारुन-सुहारसस्स वावि व्व | दुइह-कम्मगिरि-चूरणम्मि वजं व तणु-मज्झा ।।१४६३।। कंचणसिला-सरिच्छे छज्जइ वच्छत्थलम्मि सिरिवच्छो । पहुणो केवललच्छी-निहिणो मुद्दा-निवेसो व्व ||१४६४।। तस्स य रक्खा-भूयग व्व पाणि-फण-दिप्पमाण-नह-मणिणो । दुग्गइ-दुग-पुर-परिहा सरला रेहंति भूय-दंडा ||१४६५।। पहणो नाणोअहिणो कंठो कंबो व्व गहिर-निग्घोसो । विद्दुम-मणि व्व अहरो सहइ मुहं चंद-बिंबं व ||१४६६।। भमुहाओ तस्सेव य सहति सेवाल-वल्लरीओ व्व । नयणाइं पंकयाइं व नासा-नालग्ग-लग्गाइं ||१४६७|| पहुणो सवणा सिरी-सरसईण हिंदोलय व्व सोहंति । वयण-कमलावलंबिर-रोलंब-विडंबिणो विहुरा ।।१४६८।। पहुणो तणु-कंति-तरंगिणीइ विलसंतया मयच्छीण । छज्जति मच्छ-रिंछोलि-सच्छहा अच्छि-विच्छोहा ||१४६९।। पिउणो उवरोहेणं परिणेइ पहू नरिंद-कलाओ । जेण जणयाण आणा अलंघणिज्जा जिणाणं पि ||१४७०।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001386
Book TitleSumainahchariyam
Original Sutra AuthorSomprabhacharya
AuthorRamniklal M Shah, Nagin J Shah
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages540
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size8 MB
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