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सिरिसोमप्पहसूरि - विरइयं माणिय- जोइस - भवणवासि वंतरवई सपरिवारा इय जिण-महिमं काउं सव्वे वच्चंति स - द्वाणं ||१४४३|| जाए पहाय - समए मेह- नरिंदेण नियय-नयरीए । नच्चंत - नारि-नियरं वदावणयं कयं रम्मं ||१४४४ || जं गब्भ-गए नाहे जणणीए सोहणा मई जाया । तेण सुमइ त्ति नामं पइद्वियं सामिणो पिउणा || १४४५ ||
वारं वारं बालं पेच्छंतो मेह नरवइ नाहं । मन्नइ अमय - महद्दह - निमज्जमाणं व अप्पाणं ||१४४६ ॥
राया कयाइ कंठे कयाइ हियए कयाइ उच्छंगे । सीसे कयाइ धारइ महग्घ - माणिक्कमिव सामि || १४४७|| पहुणो सुरंगणाओ धाविउं कंति-सलिल-वावीओ । सक्क- गिराए पासं देहच्छाय व्व न मुयंति || १४४८ || अंकाओ उत्तरिऊण धाविओ पिंडधाविरिं धाविं ( ? ) | खेएइ निब्भओ सो सीहिं केसरि-किसोरु व्व || १४४९|| कीलाए धावमाणस्स सामिणो अग्गओ सुर- कुमारा । धावंति वलिय-गीवा करि-कलहस्सेव पडिकारा || १४५० ।।
लीलाए पाडिए तेसु भणंतेसु रक्ख रक्खति ।
नर - कुंजरो सकरुणो सिसू वि सदया सया वि जिणा || १४५१ || दप्पण-गय-पडिबिंबं रय-मल-पासेय रोय रहियं पि । सुरहित्तणमवहंतं कहं पहु-देहस्स होइ समं ।। १४५२ || पहुणो नीरायमणस्स परिचयं पाविउं व संजायं । गो-खीर- हार-धवलं रुहिरं मंसं च देहत्थं ||१४५३ ||
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आहारो नीहारो य मंस चक्खूण जं अपच्चक्खो । कित्तेमि कित्तियं तं पहुणी लोउत्तरं चरियं ||१४५४|| पहुणो नीसास - समीरणेण सुरहीकयम्मि गयणयले । तियस तरु- कुसुम - परिमल-भंतीए भमंति भमर - गणा || १४५५||
सामी सिसुत्तणं लंघिऊण सूरो पहाय-समयं व । विप्फुरिय- फार तेयं कमेण तरुणत्तणं पत्तो || १४५६ ||
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