________________
૨૨૨
सिरिसोमप्पहसूरि-विरइयं ति-पयाहिऊण जिणं जिणिंद-जणणिं च वंदिऊण तहा । एवं भणंति 'जय-दीव-दाइए देवि ! तुज्डा नमो ||१३८३।। अहलोयाओ वयमागयाओ जिण-जम्म-महिम-करणत्थं । ता न तए भेयव्वं' ति भणिय विरयंति सूइहरं ।।१३८४।। मणिथंभ-सहस्स-जुयं संवय-वाउणा तण-रयाई ।
आजोयणमवहरियं गायंतीओ य चिटंति ||१३८५।। एवं मेरु-सिर-हियाओ उड्डलोय-वासिणीओ अहमेहंकरा मेहवई सुमेहा मेहमालिणी ।
सुवच्छा वच्छमित्ता य वारिसेणा बलाहिया ||१३८६।। गंधोदएण समंतओ महिं सिंचिऊण पंचवण्ण-कुसुम-वुद्धिं कुणंति । एवं पुव्व-रुयग-वत्थव्वाओ अह
नंदुत्तरा तहा नंदा आणंदा नंदिवद्धणा । विजया वेजयंती य जयंती अपराजिया ||१३८७।। एयाओ आयंसहत्थाओ चिटंति । एवं दाहिण-ख्यग-वत्थव्वाओ अह
समाहारा सुप्पदिन्ना सुप्पबुद्धा जसोहरा ।
लच्छीवई सेसवई चित्तगुत्ता वसुंधरा ।।१३७८।। एआओ भिंगारकराओ चिट्ठति । एवं पच्छिम-ख्यग-वत्थव्वाओ अट्ठइलादेवी सुरादेवी पुहवी पउमावई ।
एगनासा नवमिया भद्दा सिया य अहमा ||१३८ ।। एयाओ तालियंट-हत्थाओ चिट्ठति । एवं उत्तर-रूयग-वत्थव्वाओ अह
अलंबुसा मिस्सकेसी पंडरीका य वारुणी । हासा सव्वप्पहा चेव हिरी सिरी य अहमा ||१३१०।। एयाओ चामर-कराओ चिट्ठति । एवं विदिसि-रुयग-वत्थव्वाओ चत्तारि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org