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' एवं तुमं पिययम ! एयं लद्धं सुहं परिहरंतो । अणलद्धं पत्थंतो मन्ने दोहं पि चुक्किहिसि ||११९६ || ताव य विसयमसग्गहमेयं मोत्तूण निय-सरीरमिणं । पालेसु सयल-इंदिय-मणाणुकूलेहिं विसएहिं ॥ १११७|| जं पुण दुक्कर-तव-चरण-लोय-भूसयणं- बंभचेरेहिं । विनडेउ मिच्छ देहं तं किं तुह वेरियं एयं ? ||११९८ || कुमारेण भणियं
सिरिसोमप्पहसूरि - विरइयं
'बहुविह-भक्ख - जुएहिं बहु - वंजण- जणिय-मण- पमोएहिं । कलमोयण पमुहेहिं महुराहारेहिं निद्धेहिं ।। ११99 ||
नालियर - कयल - खज्जूर- दक्ख- नारंग- दाडिमाइहिं । विविह - फलेहिं य निच्चं जइ वि हु पीणिज्जए एयं ||१२|| अब्भंगिऊण जइ वि हु सयपाग - सहरसपाग- तेल्लेहिं । उव्वहिऊण य इमं ण्हाविज्जइ पवर - सलिलेहिं ॥१२१॥ घुसिण- घणसार- सिरिखंड - अगुरु-मयणाहि पमुह दव्वेहिं । परिमल - मणोहरेहिं जइ वि लिंपिज्जए एयं ||१२०२ || चीणसुय-पहंसुय- देवंग - पुरस्सराणि वत्थाई । घण-मसिण - कोमलाई परिहाविज्जइ जइ वि एयं ||१२०३ || कंचण-रयणमएहिं फुरंत - किरणोह - दलिय - तिमिरेहिं । विविहालंकारेहिं जइ वि विभूसिज्जए एयं ।। १२०४ ।। कप्पूर - पारिकलियं लवंग - कक्कोल - कोलफल-जुत्तं । तंबोलानच्चमिणं सम्माणाविज्जह जइ वि ।।१२०५ || वर - हंसतूलि - ललिए उज्जल - देवंग - वत्थ-संछन्ने । रयणमए पल्लंके जइ वि हु सोविज्जए एयं ।। १२०६ ।। विलसंत- बहल - परिमल-मिलंत मत्तालि - जाल - मुहलाहिं । निच्चं अलंकरिज्जइ जइ वि इमं कुसुममालाहिं ।। १२०७|| वग्गंत - थोर - थणमंडलाण महिलाण थणमरट्टस्स । नहस्स दंसणेणं जइ वि पसाइज्जए एयं ||१२०८ ||
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