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सुमइनाह-चरियं
१५७ अकय-तहाविह-पावा मरिऊण पंचपरमे हि-नमोक्कार-प्पभावेण समुप्पन्ना इहेव जंबुद्दीवे भारहे वासे चंपाए नयरीए चंदसेणस्स रन्नो चंदकंताए कंताए कुक्खिम्मि, जुयलत्तणेण पुत्ता जाया । कालक्कमेण कयं वद्धावणयं महाविभूईए | पयट्ठियाइं नामाई एगस्स वीरसेणो अवरस्स सूरसेणो त्ति । गहिय-कलाकलावा पत्ता जोव्वणं, परिणाविया सरीर८°सुंदेरिम-लहुईकय-लच्छि-लावन्नाओ रायकलाओ । ताहिं समं सयलिंदियाणुकूलं विसयसुहमणुहवंताणं अइक्वंतो कोइ कालो । कयाइ कय-तरुण-जण-मणप्पमओ समागओ वसंत-समओ |
नच्चंत-रमणि-कंकण-कलाव,-कलसद्द-पबोहिय-कुसुमचाव ।।१५८।। अच्छेरय-रंजिय-तरुण-सत्थ,-सुर-घरहि हुंति रहजत्त जत्थ ।।१५।। जहि कुसुमगंध-लुदालिजाल,-रव-भरियसयल दिस-चक्कवाल ||१६|| नीसेस-जगत्तय-विजय-सज्ज, जंपंति व मयण-नरिंद रज्ज ।।१६१|| जहिं वणसिरीण किंसुय सहंति, महु दिन्न नाइ नहवयह पंति ||१६२|| सहयारह रेहहि मंजरीओ, नं मयण-जलण-जालावलीओ ||१६३|| जहिं मलय-समीरण-हल्लिरेहिं , नच्चंति वलय पल्लव-करहिं ||१६४|| परहुय-रवु पसरइ काणणेसु, नं माणिणि-मय-चाओवएसु ।।१६।। इय मयण-महामहिं, लोयसुहावहिं, तत्थ पयट्टइ महु-समइ । कयराय-कुमारिहि, बहुगुणसारिहिं,"कीलणत्थुवण-गमण-मइ ।।१६६ ।।
. [घत्ता] तत्तो दो वि कुमारा विहिय-जणाणंदयारि-सिंगारा । कंठ-विलुलंत-हारा वणम्मि पत्ता सपरिवारा ||१६७।।
कीलिऊण सुइरं जाव वीसमंता चिट्ठति ताव निसुओ सजलहरगज्जि-गंभीरो सद्दो । विम्हयवसेण सद्दाणुसारओ पयट्टेहिं तेहिं दिहो सुरकय-कणय-कमलोवविहो, विसिहोहिनाण-मुणिय-सयलभावो भावदेवो नाम परिसाए धम्मं वागरमाणो मुणिवरो | गया दो वि तरस समीवं, आणंद-संदोहमुव्वहंतेहि पणमिओ गुरू । दिनो गुरुणा सयलकल्लाण-वल्लि-पल्लवण-वारिवाहो धम्मलाभो । निसन्ना उचियासणेसु कुमारा । कया मुणिणा धम्मदेसणा । पत्थावं लहिऊण भणियमणेहिं -
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