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प्राकृत भाषाओं का तुलनात्मक व्याकरण
(१) प्राचीन प्राकृत में भूत काल के लिए प्रायः अन्य पुरुष एक वचन के लिए ' इत्था' एवं ' इत्थ' और बहु वचन के लिए 'इंसु' (अंसु) प्रत्यय लगाये जाते हैं परंतु उनका प्रयोग वैसे सभी पुरुष और वचनों के लिए भी मिलता है और क्रियापद के पूर्व वचित् आगम के रूप में 'अ' भी जोड़ा जाता है ।
प्राकृत
( ए. व.)
(अ) सेवित्थ, लभित्थ,
ब)
(स)
(द)
(२)
सेवित्था, सम्पज्जित्था,
विहरित्था, रोइत्था,
होत्था (अहोत्था)
(करिंसु, आहिंसिसु )
कुछ अन्य रूप इस प्रकार भी मिलते हैं :
उ.पु. अकरिस्सं, पुच्छिस्सं
वुच्छामु (वस)
प्रायः सभी पुरुषों एवं वचनों के लिए भूत काल के लिए 'सि (सी)', 'ही' और 'इ (ई )' प्रत्यय भी मिलते हैं :
( ही )
(इ)
(सि) अकासि, अकासी,
अचारि (चर्)
कासि (कृ) वयासि, वयासी (वद्)
अचारी (चर्)
ठासि, ठासी, (स्था) कहेसि, कहेसी (कथ्) अहेसि, अहेसी (भू)
( ब. व . )
सेर्विसु, पुच्छिंसु, भासिंसु, बंधिसु, वेदिसु, करिंसु (अकरिंसु, अतरिंसु ) (लभित्थ, होत्था, पाउब्भवित्था) आहंसु (आहु:-ब्रू)
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काही
ठाही
भुवि (भू)
'दृश्' के 'अद्दक्खु, अद्दक्खू, अदक्खु' रूप मिलते हैं । पालि भाषा में सामान्यतः 'अ 'कारान्त धातुओं में तीनों पुरुषों में एक वचन के लिए क्रमशः 'इं', 'इ', 'इ' और बहु वचन के लिए 'इम्ह', 'इत्थ', 'इंसु या उं' प्रत्यय लगाये जाते हैं तथा अन्य
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