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(viii) अपभ्रंश भाषा में प्रयुक्त 'किम्' एवं 'यद्' के कुछ विशिष्ट रूप
स्त्रीलिंग
पुलिंग
प्र.द्वि. कवणु, कु, जु कें, किं, कवणे, कवणेण
तृ.
जें, जि, जिणि
प्र. कि, जि
(ए. व.)
प्र.द्वि. कि, कँ, कई, कइँ, काई, काइँ
प्राकृत
दो, दुवे, दोणि
प्र.
द्वि. तओ, तिणि
चउरो, चत्तारि
(एक वचन)
पं. कउ ष. कासु, कहाँ
स. कहिं, जहिं
(बहुवचन)
नपुंसकलिंग
(ix) संख्यावाची शब्दों के कुछ विशिष्ट रूप
पालि
द्वे, दुवे तयो, तीनि चतुरो, चत्तारो
प्राकृत
ष. दोन्हं, तिहं,
चउण्हं, पंचहं
तृ. काई, जाई
ष. काहे
काउ
(ब.व )
कई, कइँ, काइ, काइँ
पालि
द्विन्नं, दुविन्नं, तिन्नं,
चतुन्नं, पञ्चन्नं
यहाँ पर सभी (प्रश्नवाची, संकेतवाची, संख्यावाची, इत्यादि) सर्वनामों के रूप नहीं दिये गये हैं क्योंकि उनके रूप स्वरान्त शब्दों की तरह ही चलते हैं । ऊपर अपभ्रंश के नीचे सर्वनामों के जहाँ पर अलग रूप नहीं दिये गये हैं वहाँ पर प्राकृत के ही रूप चलते हैं ।
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प्राकृत भाषाओं का तुलनात्मक व्याकरण