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________________ विविध प्राकृत भाषाएँ २५ (१८) पुंलिंग में सप्तमी एक वचन का विभक्ति प्रत्यय अंसि एवं स्सि (स्मिन्) भी मिलता है : पुत्तंसि, अग्गिसि, वाउंसि, भित्तिंसि, धेपुंसि, ममंसि तुमंसि, तंसि, एसि, इमंसि, एगंसि, अस्सि, कस्सि, तस्सि, आदि । (१९) अकारान्त पुंलिंग में सम्बोधन के एक वचन में आ विभक्ति भी मिलती है : हे देवा, हे गोयमा । (२०) आज्ञार्थ द्वितीय पुरुष एक वचन के लिए आहि (धि) प्रत्यय भी मिलता है : वट्टाहि, गेहाहि, विरहाहि । (२१) भविष्य काल के लिए प्रथम पुरुष एक वचन के प्रत्यय इस्सं और हं (ष्यम्) मिलते हैं : करेस्सं, करिस्सं, काहं, दाहं, पाहं । (२२) भूतकाल के लिए अनेक प्राचीन प्रत्ययों का उपयोग अर्धमागधी में चलता रहा । फिर भी पुरुष और वचन सम्बन्धी भेद मिटता गया और निम्नलिखित प्रत्ययों का उपयोग प्रायः सभी पुरुषों और वचनों के लिए होता है । (i) आसी, आसि ( आसीः ) : वयासी, वयासि ( अवादी: ), कासि ( अकार्षीः ) (ii) इत्थ, इत्था, त्था (इष्ट) : विहरित्था, सेवित्था होत्था, लभित्थ, पहारेत्थ (iii) अ( - ) इस्सं (ष्यम्) : प्रथम पुरुष एक वचन : अकरिस्सं (अकार्षम् ) (iv) अ( - ) आसि : द्वितीय पुरुष एक वचन : अकासि, अकासी (अकार्षीः) (v) सी, ही (सीत् ) : तृतीय पुरुष एक वचन : कासी, कासि, ठासी, पासी, होसी काही, ठाही, पाही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001385
Book TitlePrakrit Bhasha ka Tulnatmak Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages144
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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