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२. विविध प्राकृत भाषाएँ
(क) महाराष्ट्री अभी तक प्राकृत भाषा के जिन लक्षणों का परिचय दिया गया है वे प्रायः महाराष्ट्री प्राकृत के लक्षण हैं । प्राकृत का सामान्य अर्थ महाराष्ट्री प्राकृत ही चलता है और सरलता के लिए इसी प्राकृत का परिचय प्रथम दिया गया है। अन्य प्राकृतों से संबंधित मुख्य विशेषताएँ यहाँ पर दी जा रही हैं तो जो इन्हें महाराष्ट्री से अलग करती हैं । पदरचना का व्यवस्थित ब्यौरा आगे दिया गया है जिसमें Middle IndoAryan के मान्य तीनों स्तरों पालि, प्राकृत और अपभ्रंश का समावेश किया गया है।
वैसे प्राकृत भाषाओं (M. I. A. Languages) का विकासक्रम अनुमानतः इस प्रकार माना गया है : पालि, पैशाची, चूलिका पैशाची, मागधी, अर्धमागधी, शौरसेनी, महाराष्ट्री एवं अपभ्रंश । परंतु सुविधा और सुबोधता की दृष्टि से यहाँ पर उनका क्रम बदल दिया गया
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