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ध्वनि-परिवर्तन
समीकरण के निम्न दो प्रकार हैं : (अ) पुरोगामी समीकरण : इसमें संयुक्त व्यंजन का द्वितीय व्यंजन
प्रथम व्यंजन के समान बन जाता है : अण्णया (अन्यदा), समग्ग (समग्र), कल्लाण (कल्याण),
अण्णेसण (अन्वेषण), अवस्स (अवश्य) (ब)
पश्चगामी समीकरण : इसमें प्रथम व्यंजन द्वितीय के समान हो जाता है : जुत्त (युक्त), सद्द (शब्द), खग्ग (खड्ग), जम्म (जन्म),
कम्म (कर्म), सव्व (सर्व) (क) संयुक्त व्यंजन में यदि एक व्यंजन महाप्राण हो तो दूसरा व्यंजन
उस महाप्राण का अल्पप्राण हो जाता है और वह महाप्राण के पहले आता है : पुरोगामी : विग्घ (विघ्न), विक्खाय (विख्यात), अब्भंतर
(अभ्यन्तर) पश्चगामी : सब्भाव (सद्भाव), उवलद्ध ( उपलब्ध), समत्थ
(समर्थ ), विप्फुरिय (विस्फुरित) (ड) संयुक्त व्यंजन में यदि एक ऊष्म व्यंजन हो और दूसरा अल्प
प्राण व्यंजन हो तो वह अल्प प्राण व्यंजन ऊष्म व्यंजन के कारण महाप्राण व्यंजन में बदल जाता है और वह महाप्राण अपने ही अल्प प्राण के बाद में आता है : पुक्खर (पुष्कर), पच्छिम (पश्चिम), कट्ठ (कष्ट), हत्थ (हस्त), पुप्फ (पुष्प), कक्ख (कक्ष), अक्खि (अक्षि) । [क्ष का च्छ भी होता है : कच्छ (कक्ष), अच्छि ( अक्षि), वच्छ (वृक्ष), दच्छ ( दक्ष )]
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