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कल्याण-मन्दिर स्तोत्र
हे जिनेन्द्र ! आपके दर्शन - मात्र से भक्त जन सैकड़ों भयंकर उपद्रवों से शीघ्र ही मुक्त हो जाते हैं । आपके दर्शन और संकट ! मेल ही नहीं बैठता ।
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गाँव के पशुओं को चोर रात्रि में चुरा ले जाते हैं, परन्तु ज्यों ही बलवान् तेजस्वी ग्वाला दिखाई देता है, त्यों ही पशुओं को छोड़ कर वे झट-पट भाग खड़े होते हैं | मालिक के सामने चोर कहीं ठहर सकते हैं ?
टिप्पणी
मनुष्य संकटों से तभी तक घिरा रहता है, जब तक कि वह भगवान् के श्रीचरणों में अपने आपको अर्पण नहीं करता है, प्रभु के दर्शन नहीं करता है । भगवान् का ध्यान करते ही सब संकट चकनाचूर हो जाते हैं । इस सम्बन्ध में चोरों का उदाहरण बहुत सुन्दर दिया गया है ।
'गोस्वामी' का अर्थ है - 'गो का स्वामी ।' 'गो' का अर्थ किरण भी होता है । अतः किरणों के स्वामी सूर्य के उदय होते ही चोर भाग जाते हैं, यह अर्थ भी लिया जाता है। 'गो' का अर्थ पृथ्वी भी है, अतः पृथ्वी के स्वामी राजा को देखते ही चोर भागने लगते हैं, यह अर्थ भी प्रकरणसंगत है। 'गो' का अर्थ गाय भी है, अतः गोस्वामी ग्वाला भी होता है। भावार्थ में यह अर्थ लिखा जा चुका है ।
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