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________________ तीसरा नेत्र (२) ७५ में चार ग्रन्थियां बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं-पिनियल, पिच्यूटरी, थायराइड और एड्रीनल । वैसे सभी ग्रन्थियां महत्वपूर्ण हैं, परन्तु इन चारों का विशेष महत्त्व हैं। इन चारों में भी पिच्यूटरी का स्थान विशिष्ट है । उसे मेडिकल साइन्स में “मास्टर ग्लैण्ड" कहा जाता है। हमारी प्रवृत्तियों पर यह बहुत प्रभाव डालती है। शरीर-शास्त्रीय दृष्टि से विचार करने पर कहना होगा कि काम-वासना स्त्री या पुरुष को देखने से नहीं जागती, किन्तु पिनियल और पिच्यूटरी ग्रंथि से स्राव जब नीचे गौनार्ड्स पर जाते हैं तब काम-वासना जागती है। पिच्यूटरी से “गौनाडोट्रोफिंग" नाम का स्राव होता है और वह गोनार्ड्स में पहुंचकर कामग्रन्थि को प्रभावित करता है । यह पूरा तथ्य नहीं है। इसको जान लेने मात्र से भी समस्या का समाधान नहीं होता। केवल शरीर-शास्त्रीय दृष्टि ही पर्याप्त नहीं है। हमें इससे भी आगे जाना होगा। हमें निश्चय नय की दृष्टि से सोचना होगा। शरीर-शास्त्रीय तथ्य व्यवहार के तथ्य हैं, स्थूल पर्याय का स्पर्श करने वाले तथ्य हैं। आगे चलकर हम कर्म-शास्त्र की परिधि में प्रवेश करते हैं। कर्म-शास्त्री कहता है-मोहनीय कर्म के उदय से काम-वासना जागती है। स्त्रीवेद, पुरुषवेद और नपुंसकवेद-ये मोहनीय कर्म की प्रकृतियां हैं। ये जब जागृत होती हैं, विपाक में आती हैं तब काम की भावना जागृत होती है । इससे भी आगे चलना होता है । अध्यात्म जगत् में काम करने वाला मानसशास्त्री या मनोवैज्ञानिक कहेगाहमारा भाव-संस्थान सक्रिय होता है तब काम-वासना उभरती है। ये सब एकांगी कथन हैं। ये पूर्ण सत्य तक नहीं पहुंचाते । हम जब इनका योग करते हैं, तब सत्य को हस्तगत कर लेते हैं । चार बातें हैं । एक है—भाव-संस्थान । दूसरा है-कर्म-विपाक । तीसरा है— ग्रन्थि-स्राव और चौथा है—बाह्य-निमित्त-स्त्री और पुरुष का योग। जब ये चार बातें समवेत होती हैं तब काम-वासना जागृत होती है। इस प्रश्न को अनेकान्त के बिना नहीं समझा जा सकता। इस समस्या को अनेकान्त के बिना नहीं सुलझाया जा सकता। जब हमारा भाव-संस्थान सक्रिय होता है तब वह हमारे मस्तिष्क के एक भाग को प्रभावित करता है । यह भाग है— हाइपोथेलेमस । जब वह भाग प्रभावित होता है तब पिच्यूटरी ग्रन्थि प्रभावित होती है ! हाइपोथेलेमस का एक स्राव है----पेम्पाटाइन । इस रसायन के द्वारा पिच्यूटरी ग्रन्थि प्रभावित होती है। जैसे ही भाव-संस्थान में काम का विचार आता है, क्रोध या भय का विचार आता है, वह पिच्यूटरी को प्रभावित करता है। जितने मानसिक तनाव या दबाव आते हैं वे सारे हाइपोथेलेमस में आते हैं । वह तनावों का भण्डार है। जब मस्तिष्क का यह भाग तनावग्रस्त होता है तब पिच्यूटरी प्रभावित होती है। पिच्यूटरी, थायराइड और गोनाड्स को प्रभावित करती Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001373
Book TitleAnekanta hai Tisra Netra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Discourse
File Size8 MB
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