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अनेकान्त है तीसरा नेत्र
दोनों लड़कियों के दो विरोधी हित हैं। एक का हित है वर्षा के होने में, जबकि दूसरी का हित है वर्षा के न होने में। ___यह जगत्-विरोधी हितों का जगत् है । सब के स्वार्थ भिन्न-भिन्न हैं । मिल-मालिक
और मजदूर का हित समान नहीं होता। एक स्वामी का हित दूसरा होता है और एक नौकर या कर्मचारी का हित दूसरा ही होता है। दोनों के हितों का संघर्ष है। यह संघर्ष मिटने वाला नहीं है। इसे मिटाने के प्रयत्न हो रहे हैं। परंतु मिटे कैसे? यह संघर्ष हमारी प्रकृति में निहित है । व्यवस्था से यह संघर्ष जुड़ा है। यह मिटे कैसे? इसीलिए समाजशात्रियों ने कहा—स्ट्रगल फार सरवाइवल-जीने के लिए संघर्ष अनिवार्य । संघर्ष विकास का सूचक है। स्फुल्लिंग या चिंगारियां नहीं होंगी तो विकास नहीं होगा, प्रकाश नहीं होगा। प्रकाश के लिए चिंगारी का होना जरूरी है। कैसे रोका जाए संघर्ष को? बहुत बड़ी समस्या है विरोधी हितों और विरोधी स्वार्थों की। सारा जगत् विरोधी हितों के संघर्ष से भरा है। एक-दूसरे के हित में कोई सामंजस्य नहीं है। एक ब्रह्मचारी सोचता है—सभी ब्रह्मचारी बन जायें तो अच्छा है। कुछ सोचते हैं-यदि सब ब्रह्मचारी बन जाएंगे तो सृष्टि का क्रम कैसे चलेगा? दोनों का चिंतन बिल्कुल विरोधी है। कोई व्यक्ति दीक्षित होने जाता है तो लोग सोचते हैं-इस प्रकार यदि सब दीक्षित होने लगेंगे तो संसार कैसे चलेगा?
एक घटित घटना है। एक युवक दीक्षित होना चाहता था। उसके संन्यास-ग्रहण की बात को सुनकर सारा नगर विरोध में खड़ा हो गया। परिचित भी विरोध करने लगे और अपरिचित भी विरोध करने लगे। हर आदमी चाहता था कि युवक शादी करे और सृष्टि के नियम को चलाए। जब यह लगता है कि एक भी व्यक्ति इस सृष्टि के नियम को तोड़कर दूसरी दिशा में जा रहा है तो लगता है कि सृष्टि का क्रम भंग हो रहा है। विरोधी हितों की टक्कर होती है। संन्यास और गार्हस्थ्य का विरोध हमेशा से हो रहा हैं। सत्य का और असत्य का विरोध सदा से रहा है। सत्य बोलने वाला हमेशा चाहता है कि कोई झूठ न बोले । किन्तु झूठ बोलने वाला नहीं चाहता कि कोई सत्य बोले । चोर यह प्रयत्न करेगा कि सब चोर हों, साहूकार कोई न बने । चोर का हित इस बात में है कि चोर-चोर ही बना रहे । सब नकटे हो जाएं
एक कहानी है। एक नकटा था । लोग उसका अपशकुन मानते थे। वह बहुत दुःखी हो गया। वह बुद्धिमान् था। उसने सोचा, ऐसा काम करूं कि सारा संसार नकटा हो जाए। फिर मंगल-अमंगल या शकुन-अपशकुन की चर्चा ही समाप्त हो
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