________________
१३४
अनेकान्त है तीसरा नेत्र लिखा है ? बालक ने कहा-लिखा हुआ पढ़ लिया। लिखा है---फूल तोड़ना मना है। मैं फूल नहीं मूल को ही उखाड़ रहा हूं। ___जब मूल को उखाड़ दिया जाता है तब फूल के अस्तित्व का प्रश्न ही नहीं आता । हम मूल को अस्वीकृत नहीं कर सकते। हमारा जीवन एक फूल है, दिखाई देता है। वह जीवन अनबूझ पहेली बना हुआ है। जीवन की अनेक व्याख्याएं हुई है, किन्तु बहुत सारी व्याख्याएं फूल की व्याख्याएं हैं। फूल तक पहुंचने वाली व्याख्याएं हैं । मूल तक नहीं जाने वाली व्याख्या अधूरी होती है । फूल खिलता है, कुम्हला जाता है, गिर जाता है। आज खिलता है, कल कुम्हला जाता है। सारा परिवर्तन होता जाता है । मूल की व्याख्या किए बिना केवल फूल की व्याख्या करना बहुत खतरनाक होता है। जीवन का आधार-ज्ञान ___ हम जीवन को समझें। जीवन क्या है ? जो दीख रहा है, वही केवल जीवन नहीं है। जीवन के मूल में दो तत्त्व निरन्तर काम करते रहते हैं। एक है द्रव्य और दूसरा है पर्याय । ज्ञान द्रव्य भी है और पर्याय भी है। ज्ञान एक भी है और अनेक भी है । ज्ञान स्वावलम्बी भी है और परावलम्बी भी है। ज्ञान स्वावलम्बी है। उसमें अपने आपमें जानने की निरन्तर क्रिया होती रहती है। ज्ञान जब दो के रूप में बदलता है तब परावलम्बी बन जाता है ।
अपने आप में जानने की क्रिया की अपेक्षा से ज्ञान एक है : दो के आधार पर बदलते हुए पर्यायों को जानने वाला ज्ञान अनेक बन जाता है।
ज्ञान नित्य है अपने स्वरूप में। बदलते हुए पर्यायों को जानने वाला ज्ञान अनित्य हो जाता है। ____ हमारे जीवन का पहला पक्ष है—ज्ञान । जीवन का मूल आधार हे ज्ञान । जीवन का दूसरा पक्ष है पर्याय । वह निरन्तर बदलता रहता है। पर्याय एक प्रकार का नहीं होता। परिवर्तन एक प्रकार का नहीं होता। उसके दो प्रकार हैं। एक है स्वाभाविक परिवर्तन, सहज में होने वाला परिवर्तन और दूसरा है यौगिक परिवर्तन, निमित्तों से होने वाला परिवर्तन, संयोग और सम्बन्धों से फलित होने वाला परिवर्तन । स्वाभाविक परिवर्तन पर किसी का अधिकार नहीं होता। वह स्वाभाविक रूप से घटित होता है। न उसे रोका जा सकता है और न उसे बदला जा सकता है। वह पदार्थ का अपना अस्तित्व है । वह अस्तित्व से जुड़ा हुआ परिवर्तन है । वह परिवर्तन इसलिए होता है कि पदार्थ दूसरे क्षण में अपना अस्तित्व बनाए रख सके। पहले क्षण का
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org