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________________ ३०३ ३०३ ९. श्रीदत्त की चिन्ता । मारने के लिये चांडाल को अर्पण । उसके द्वारा रक्षण । दूसरी बार मरवाने का प्रयत्न । गोविन्द गोपाल द्वारा पालन । यौवन । श्रीदत्त की शंका । गोपाल द्वारा यथार्थ कथन । सेठ द्वारा लेख सहित प्रेषण । पुर के समीप नन्दन वन में सोने पर वसन्तसेना गणिका द्वारा पत्र में विस (विष) के स्थान पर विसा (विश्वा-वणिक्कन्या) संशोधन । सेठ के पुत्र ने पत्र पढ़कर अपनी बहिन विश्वा से विवाह किया। सेठ की लौटाने पर निराशा । संध्या समय नागदेव के देवालय में पूजानिमित्त प्रेषण व मरवाने का उपाय । १२. पुत्र का उसका अपरिचित नगर में अकेला जाना उचित न समझ स्वयं पूजा सामग्री लेकर गमन व नियोजित चांडाल द्वारा वध । सेठ का दुख व पुनः मारने के लिए गहिणी से आग्रह । १३. गृहिणी द्वारा विष मोदक पुत्री को देकर जामाता को खिलाने का आदेश । सेठ के क्षुधातुर आने पर उसे ही विष के लड्डुओं का आहार । सेठ का मरण । सेठानी का भी विष खाकर पति का अनुगमन । जामाता की श्रेष्ठी-पद-प्राप्ति । वसुदत्त नरेन्द्र द्वारा सद्गुणी जानकर आधाराज्य व राजकन्या का दान । जयकेतु ऋषि का प्रागमन । प्राहारदान । पूर्वभव श्रवण । धीवर की पर्याय में पाँच बार मछली की रक्षा करने से उसका पांच बार प्रापत्ति से बचकर वह वैभव । सोमदत्त का वैराग्य, तप व स्वर्गप्राप्ति । ३०४ ३०४ १४. ३०५ पृष्ठ संधि-३० [एक जीव के मारने से अनेक बार वध पर यशोधर के कथानक की सूचना सुप्रसिद्ध होने से अलिखित ।] कडवक १. जीवदया का फल । यमपाश चांडाल की कथा । काशीदेश, वाराणसी पुरी, पाकशासन नरेन्द्र, जयदंड कोट्टपाल, जमपाश चांडाल, नगर में ध्याधियों उपद्रव । शान्ति कर्म । पाठ दिन हिंसा का निषेध । नियम भंग करने से प्राणदंड । नगर में घर-घर पर धर्मोत्सव । धर्मनामक वणिक् द्वारा नियम भंग जानकर राजा का क्रोध । पाठ दिन पश्चात् वध का आदेश । अमृतास्रव मुनि का आगमन । मुनि के महात्म्य से व्यंतर की बाधा समाप्त । यमपाश ने भी चतुर्दशी को अहिंसा व्रत किया। उस दिन छिपकर रहा । भट का उसकी खोज में आगमन । गृहिणी द्वारा अन्य ग्राम जाने का बहाना। ४. भट ने प्राज मारे जाने वाले के अनेक प्राभूषण चांडाल को मिलने का प्रलोभन दिया। पत्नी द्वारा उसके घर में होने का संकेत । चांडाल द्वारा चतुर्दशी व्रत का निवेदन। ३०७ ३०७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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